मुजफ्फरपुर जिले में अनट्रेंड शिक्षकों को एनआईओएस से 18 महीने के विशेष डीएलएड कोर्स कराने वाले 74 सेंटर और उनपर आवंटित ढाई करोड़ से अधिक की राशि से संबंधित रिकार्ड जिले से गायब हैं। इससे गबन की आशंका जतायी जा रही है। कोर्स खत्म होने और डिग्री मिलने के डेढ़ साल बाद इस फाइल की खोज शुरू हुई है।

जिले में 18 महीने के इस कोर्स में 14 हजार शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई थी। विभिन्न हाईस्कूल में इसके लिए 74 केन्द्र बनाए गए थे, जिन पर सरकारी और प्राइवेट स्कूल के मिलाकर 14 हजार शिक्षक नामांकित थे। इन शिक्षकों की परीक्षा भी हो चुकी है और डीएलएड की डिग्री भी मिल चुकी है। अब राज्य सरकार ने जब इन केंद्रों पर हुए खर्च का हिसाब मांगा है तो रिकार्ड गायब होने का मामला सामने आया है।

एनआईओएस से जिले को इन केन्द्रों को चलाने, जिसमें केन्द्र पर संसाधन में खर्च के साथ ही मेंटर, आरपी का मानदेय भी शामिल था, ढाई करोड़ से अधिक की राशि दी गई। मार्च 2019 तक का यह कोर्स था। रिकार्ड गायब होने से कई अधिकारियों की गर्दन फंसती दिख रही है।

बिहार शिक्षा परियोजना व डीईओ कार्यालय झाड़ रहे पल्ला

बीईपी के राज्य कार्यक्रम अधिकारी संजय सिंह की ओर से डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान से इन केन्द्रों पर हुए खर्च का हिसाब मांगा गया है। बीईपी को ही इन केन्द्रों के संचालन और खर्च की जवाबदेही दी गई थी। इधर, डीपीओ डॉ. अमरेन्द्र ने कहा कि हमारे कार्यालय में इससे संबंधित एक भी फाइल नहीं है। हमने दिसम्बर 2019 में ही इसकी सूचना डीईओ को देकर मार्गदर्शन मांगा था।

वहीं, डीईओ अब्दुससलाम अंसारी ने कहा कि यह संचालन बीईपी से होना था। ऐसे में डीईओ कार्यालय में यह फाइल नहीं है। इधर, केन्द्र संचालन से जुड़े शिक्षकों ने कहा कि किसी भी केन्द्र पर बीईपी की ओर से मेंटर या आरपी के लिए मानदेय नहीं दिया गया।

Source : Hindustan

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