काेराेना से संक्रमित बीएचयू के डाॅक्टर आशीष गुप्ता शहर के एक निजी नर्सिंग हाेम में जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को अस्पताल प्रबंधन की सलाह पर उन्हें रेमडेसिविर का पहला डाेज दिया गया। बुधवार काे दूसरे डाेज का इंजेक्शन देना था। पर, गुरुवार को भी उपलब्ध नहीं हो पाया। ऐसे में दूसरे-तीसरे डाेज का इंजेक्शन अब तक उन्हें नहीं दिया जा सका है।
डॉ. गुप्ता समेत करीब 2 दर्जन मरीज दाे दिनाें से रेमडिसिविर के लिए तड़प रहे हैं। ऐसे दाे दर्जन से अधिक मरीज के परिजन बुधवार व गुरुवार को सदर अस्पताल के सेंट्रल स्टाेर के सामने इंजेक्शन के लिए कतार में खड़े देखे गए। इधर, डीडीसी डॉ. सुनील झा ने बताया कि दो दिनों से रेमडेसिविर सदर अस्पताल के स्टॉक में नहीं है।
सीएस काे भी रेमडेसिविर की कालाबाजारी की आशंका, जारी कर रहे नए-नए फरमान जहां एक ओर मरीजाें को सदर अस्पताल रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं दे पा रहा। वहीं दूसरी ओर सिविल सर्जन काे आशंका है कि इस इंजेक्शन की कालाबाजारी हाे रही है। साे, सिविल सर्जन डाॅ. एसके चाैधरी इंजेक्शन मरीजाें काे देने के लिए नए-नए कानून बनाने में व्यस्त हैं।
बुधवार काे सिविल सर्जन ने काेराेना मरीजाें का इलाज कर रहे शहर के 16 निजी नर्सिंग हाेम काे पत्र लिखकर निर्देश दिया कि अब उन्हीं मरीजाें काे रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाएगा, जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 के आसपास हाे। रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड से परेशान सीएस ने गुरुवार काे सहायक औषधि निरीक्षक काे पत्र लिखकर कहा है कि जिले काे आवंटित 50 फीसदी इंजेक्शन निजी नर्सिंग हाेम काे दिया जाए।
Input: Dainik Bhaskar