सुविधाओं के अभाव के बीच मुजफ्फरपुर एक दशक से नए मेजर ध्यानचंद की तलाश कर रहा है। फिलहाल कोरोना वायरस ने अन्य खेलों की तरह हॉकी की गतिविधियों पर भी ब्रेक लगा रखा है। लेकिन, कोरोना काल को छोड़ दें तो उत्तर बिहार में कहीं हॉकी जिंदा है तो सिर्फ मुजफ्फरपुर में। वह भी तब जबकि यहां न इसके लिए समुचित मैदान है और न ही किसी प्रकार की सुविधा। विपरीत परिस्थितियों में भी पिछले एक दशक से निजी क्लब पीएन मेहता हॉकी एकेडमी और सरकार द्वारा संचालित एकलव्य हॉकी सेंटर राज्य के लिए न सिर्फ खिलाड़ियों की पौध तैयार कर रहा है, बल्कि उसके द्वारा तैयार खिलाड़ी राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपना लोहा मनवा चुके हैं। राज्य विभाजन के बाद हॉकी का मुख्य केंद्र रांची चला गया। यू कहें, बिहार में हॉकी को जिंदा रखने का बीड़ा मुजफ्फरपुर के खिलाड़ियों ने ही उठाया।
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ऊबड़-खाबड़ मैदान में प्रतिभाओं को तराश रहा एकलव्य हॉकी सेंटर : बालकों के लिए प्रदेश का इकलौता हॉकी प्रशिक्षण केंद्र ‘एकलव्य’ सिकंदरपुर स्थित स्टेडियम के ऊबड़-खाबड़ मैदान में नई प्रतिभाओं को तराश रहा है। सरकार ने प्रतिभाओं को तराशने के लिए यहां 2015 में एकलव्य हॉकी सेंटर की स्थापना की। इसमें तीन दर्जन खिलाड़ियों के रहने, खाने व पढ़ने की सुविधा उपलब्ध कराई गई। स्थापना के बाद से ही सेंटर ने परिणाम देना शुरू कर दिया। कई प्रतियोगिताओं में एकलव्य सेंटर की टीम एवं खिलाड़ियों ने सफलता का डंका बजाया। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी पसीना बहा रहे हैं। सेंटर में प्रशिक्षण दे रहे एनआइएस कोच मनोज कुमार सिंह की मानें तो यदि खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए एस्ट्रोटर्फ मैदान की सुविधा मिल जाए तो परिणाम और बेहतर होगा।
पीएन मेहता हॉकी एकेडमी के नाम हैं कई उपलब्धियां: प्रसन्नजीत मेहता, अनिल कुमार सिन्हा व हॉकी के एनआइएस कोच मनोज कुमार सिंह के प्रयास से 2001 में पीएन मेहता हॉकी एकेडमी की स्थापना की गई। इसका उद्घाटन तत्कालीन खेल मंत्री अशोक कुमार सिंह ने किया। उन्होंने खुदीराम बोस मैदान को हॉकी स्टेडियम में तब्दील करने की घोषणा तो की, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। एकेडमी ने अपने बलबूते एलएस कॉलेज मैदान में खिलाड़ियों को तराशना शुरू किया। पहले वर्ष सीनियर खिलाड़ियों को फिर बाद के दिनों में 15 वर्ष से कम आयु वर्ग के खिलाड़ियों को तराशा जाने लगा। इस दौरान बिहार सरकार की ओर से 2003 में एकेडमी को 25 हजार रुपये की सहायता देने के संबंध में एक पत्र आया, लेकिन राशि नहीं मिली। उसके बाद एकेडमी ने सरकार से मदद की उम्मीद छोड़ दी। कोच ने स्वयं राशि एकत्र कर जिले में हॉकी को जिंदा किया।
रहने, खाने व पढ़ने की सुविधा तो मिल रही, लेकिन मैदान की कमी आगे बढ़ने से रोक रही है।
मोनू कुमार, खिलाड़ी
राज्य व देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। लेकिन, एस्ट्रोटर्फ मैदान के अभाव में परेशानी होती है।
जितेंद्र पूर्ति, खिलाड़ी
राज्य में अधिक से अधिक प्रतियोगिताएं होनी चाहिए तो खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिले।
शिवम गोस्वामी, खिलाड़ी
एकलव्य सेंटर खिलाड़ियों को आगे बढ़ने को अवसर प्रदान कर रहा है। खिलाड़ी लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
वैभव मिश्र, खिलाड़ी
यहां मैदान छोड़ सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यदि एस्ट्रोटर्फ मैदान मिल जाए तो खिलाड़ी बड़ी उपलब्धि हासिल कर पाएंगे।
जगमोहन किसपोट्टा, खिलाड़ी
- न समुचित मैदान और न कोई अनुदान फिर भी हॉकी को हांक रहा जिला
बिहार में कहीं भी हॉकी का एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं है। मुजफ्फरपुर में तो हॉकी के लिए सामान्य मैदान भी नहीं है। इसके बाद भी पहले एलएस कॉलेज मैदान और अब सिकंदरपुर स्टेडियम मैदान को किसी तरह तैयार कर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी।
अनिल कुमार सिन्हा, निदेशक, पीएन मेहता हॉकी एकेडमी
उत्तर बिहार के खिलाड़ियों में हॉकी के प्रति रुचि है। स्थानीय खिलाड़ियों को खोज कर एकेडमी एवं राज्य के खिलाड़ियों को एकलव्य हॉकी सेंटर प्रशिक्षित कर रहा है। उन्हें कम उम्र में से ही तराश रहा है। यदि मुजफ्फरपुर में एस्ट्रोटर्फ मैदान उपलब्ध हो जाए तो यहां के खिलाड़ी देश में परचम लहराएंगे।
मनोज कुमार सिंह, कोच
कागज पर जिला हॉकी संघ, लेटर हेड पर पदाधिकारी
जिले में हॉकी संघ कागज पर चल रहा है और इसके पदाधिकारी लेटर हेड की शोभा बने हुए हैं। हॉकी के विकास में इसका कोई योगदान नहीं है। मैदान व सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर भी संघ ने कभी पहल नहीं की। मो. शोएब वर्तमान में संघ के सचिव हैं।
एकेडमी की उपलब्धियां
- सूबे में अबतक दर्जनभर बार ध्यानचंद अंतर जिला हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें जिले की टीम सर्वाधिक बार चैंपियन रही।
- स्कूली नेशनल में हर वर्ष जिले के सात से दस खिलाड़ियों ने बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया।
- एकेडमी के खिलाड़ी पंकज नाथ शर्मा 2003 में सब जूनियर एशिया कप के लिए आयोजित नेशनल कैंप के लिए चुने गए।
- विश्व कप हॉकी 2006 के लिए देश में टैलेंट हंट प्रतियोगिता के माध्यम से 45 खिलाड़ी चुने गए। इसमें एकेडमी के खिलाड़ी राहुल पांडेय भी शामिल थे।
- वर्ष 2005 में कोरबा में आयोजित ग्रामीण नेशनल प्रतियोगिता में बिहार टीम ने पहली बार अंतिम चार में प्रवेश किया। टीम में एकेडमी के छह खिलाड़ी मो. जयनुद्दीन, कृष्ण कुमार, सूर्य नारायण शर्मा, राम सिंह, वरुण कुमार व सुनिल कुमार शामिल थे। जयनुद्दीन प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए।
- वर्ष 2005 में एकेडमी के खिलाड़ी सूर्य नाथ शर्मा का चयन एसटीसी लखनऊ के लिए हुआ। वर्तमान में वह यूपी टीम के कप्तान हैं।
- वर्ष 2008 में जूनियर नेशनल में बिहार टीम तीसरे स्थान पर रही। टीम में एकेडमी के खिलाड़ी राम सिंह शामिल थे।
Input : Dainik Jagran | Pramod Kumar