जिले में सोमवार से प्राथमिक स्कूल खुलते ही फिर से रौनक लौट आई। प्राइवेट स्कूलों को सजाकर और कहीं फूल बरसाकर तो कहीं तिलक लगाकर व टॉफी देकर बच्चे का स्वागत किया गया। वहां बच्चों में खुशी का माहौल था। वहीं सरकारी स्कूलों का बुरा हाल रहा। कई विद्यालयों में कोई सजगता नहीं दिखी। गंदगी, बदबू के बीच कक्षाएं शुरू हुईं। पूछने पर हेडमास्टर की ओर से अनाप-शनाप जवाब मिला। किसी ने फंड नहीं मिलने तो किसी ने स्कूल खुलने के बाद साफ-सफाई कराने की बात कही।

दो कमरों में चल रहे बेला-छपरा प्राथमिक विद्यालय के मैदान में दो भैंस बधी थीं। शौचालय गंदगी से पटा था। उक्त विद्यालय में जगह है, लेकिन चहारदीवारी नहीं कराई गई है। बच्चे सुबह आठ बजे ही बस्ता लेकर विद्यालय पहुंच गए थे। किसी को नहीं पाकर सभी दोस्तों संग कंचे खेलते दिखे। कक्षा तीन के रमेश, चार के बबलू व पांचवीं के संतोष ने बताया कि पढ़ाई नहीं करने पर कई बार मम्मी-पापा ने डांटा और पिटाई भी लगाई। स्कूल खुल गया इसलिए आ गए। यह पूछने पर कि इतने दिनों तक स्कूल बंद रहने पर क्या किया? कुछ बच्चों ने ईमानदारी से बात की तो कुछ डर से खिसक लिए। रमेश ने बताया कि उसने पढ़ाई तो नहीं की, लेकिन मौज-मस्ती खूब की। अब मन लगाकर पढ़ूंगा।

प्रधानाध्यापक नीलम कुमारी ने कहा कि विगत पांच वर्षो से विद्यालय के लिए कोई फंड नहीं मिला। अपना पैसा खर्च कर साफ-सफाई कराती हूं। सभी शिक्षा अधिकारियों को पता है। बिजली का बिल आठ हजार रुपये बिना जलाए ही आ गया। मीटर बंद है। हमेशा कोई पोल से तार खींच देता है।

इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल मिठनपुरा में कक्षा पांच के छात्र करण कुमार ने कहा कि तैयारी देखकर स्कूल नया-नया लग रहा। उसी कक्षा के युसूफ ने कहा कि हम टीचर्स को बहुत मिस कर रहे थे। अब अच्छे से पढ़ेंगे। कक्षा एक के अर्जुन ने कहा कि इतने दिनों तक स्कूल बंद रहा। आज आने पर मजा आ गया। कक्षा तीन की खुशबू भी इतने दिनों बाद स्कूल खुलने पर खुश दिखीं।

Input: Live Hindustan

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