मुजफ्फरपुर. देश में बढ़ती कोरोना महामारी में लोग आपदा में अवसर खोजने से बाज नहीं आ रहे हैं. संक्रमित मरीजों की जान की परवाह किए बगैर कुछ लोग मजबूरी का फायदा उठा कर सिर्फ पैसा कमाने में लगे हुए हैं. ऐसा ही मामला मुजफ्फरपुर में देखने को मिला है. जहां आईटी में हालात इतने खराब है कि यहां डॉक्टर के बिना ही कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं दलालों के चंगुल में फंसे परिजनों से मरीजों का इलाज करने के लिए दो दिन में डेढ़ से दो लाख रुपये की वसूली की जा रही है. जबकि एसकेएमसीएच में मरीजों के लिए 40 बेड खाली है.

निजी अस्पतालों में सुविधा न होने पर भी लोगों को भर्ती किया जा रहा है. लेकिन भर्ती करने से पहले ही उनसे मोटी फीस जमा कराई जा रही है. एक मरीज से एक से दो दिन में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की वसूली की जा रही है. इस गंभीर स्थिति में गरीब परिवार का हाल तो और भी बुरा है. समाज में कई लोग ऐसे हैं जो इस महंगी स्वास्थ्य व्यवस्था में अस्पतालों की सीढ़ियों पर चढ़ भी नहीं सकते हैं. बिना सिफारिश के कहीं कोई काम नहीं हो रहा है. वहीं स्थिति ऐसी भी है कि अच्छे-अच्छे सिफारिश करने वालों की भी नहीं सुनी जा रही है.

कुछ जगहों पर ऑक्सीजन नहीं है तो कहीं पर बेड ही नहीं बचे हुए हैं. लोगों को खुद से ही ऑक्सीजन और तमाम चीजें लाने को बोला जा रहा है. ऐसी स्थिति में परिजन महंगी फीस का इंतजाम करें या फिर ऑक्सीजन के लिए यहां-वहां भटकते ही रहें. एसकेएमसीएच में फिलहाल 40 बेड खाली होने की बात बताई जा रही है. लेकिन लोगों को न तो भर्ती किया जा रहा है और न ही उन्हें इस बात की जानकारी है.

Source : Hindustan

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