आज शायद ही कोई भारतीय खेल प्रेमी होगा जो मनु भाकर (Manu Bhaker) के नाम से वाकिफ न हो. बहुत ही कम उम्र में दुनिया भर में अपनी नि/शानेबा/जी से लोहा मनवाने वाली मनु ने तेजी से अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है. हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव में पैदा हुई मनु मंगलवार को 18 साल की हो रही हैं.

मनु साल 2018 में ही सुर्खियों में तब आईं जब उन्होंने मैक्सिको में हुए इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन वर्ल्ड कप महिलाओं के 10 मीटर पिस्टल वर्ग में गोल्ड मेडल जीता और मैक्सिकों की ही दो बार की चैम्पियन एलेजेंड्रा जवाला को मात दी. उस समय 16 साल की मनु यह गोल्ड मेडल जीतने वाली भारत की सबसे युवा निशानेबाज बनी थीं.

इसके बाद मनु ने 10 मीटर पिस्टल मिक्सड टीम इवेंट में भी गोल्ड मेडल जीता था. मनु का शानदार प्रदर्शन यही नहीं रुका. उन्होंने अपनी सफलता को उसी साल अप्रैल में राष्ट्रमंडल खेलों में भी जारी रखा. मनु ने यहां भी एक गोल्ड मेडल अपने नाम करने के साथ नया कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड भी बनाया.

मनु के पिता राम किशन भाकर मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर के तौर पर कार्यरत हैं, लेकिन निशानेबाजी की प्रेरणा उन्हें अपने दादा राजकिरण साहेब से मिली जो भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट तीन के सैनिक रहे हैं. उन्होंने 1962 में भारत चीन युद्ध और 1965 एवं 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया लिया था. उन्होंने ही मनु को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित किया.

मनु केवल शूटिंग ही नहीं अन्य खेलों का भी हिस्सा रह चुकी हैं. उन्होंने मणिपुरी मार्शल आर्ट्स, बॉक्सिंग, टेनिस, स्केटिंग में महारतर हासिलकर राष्ट्रीय स्तर पर भी इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और मेडल भी हासिल किया है. इन दिनों मनु इस साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक की तैयारियां कर रही हैं, जिसके लिए उन्होंने मई 2019 में क्वालीफाई किया है.

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