अलवर. मेवात क्षेत्र के गांव पड़ीसल निवासी जमशेद घर में बागवानी का काम रहता था। अक्सर जुताई के लिए बड़ा ट्रैक्टर कामयाब नहीं रहता था। जगह कम रहने के कारण ठीक से जुताई नहीं हो पाती थी। ऐसे में जमशेद ने नवाचार करते हुए महज 30 हजार रुपए की लागत में एक मिनी ट्रैक्टर बना डाला। यह ट्रैक्टर आसानी से छोटे-छोटे स्थानों पर जाकर जुताई कर सकता है। इस ट्रैक्टर में मोटरसाइकिल के इंजन और कार के एक्सल का इस्तेमाल किया गया है।
महज 22 दिन की मेहनत के बाद तैयार इस मिनी ट्रैक्टर को देखने के लिए ग्रामीणों की आवाजाही लगी रहती है। साढ़े चार फीट का यह ट्रैक्टर डेढ़ लीटर पेट्रोल में करीब 1 बीघा क्षेत्र की जुताई कर देता है। इस ट्रैक्टर में गियर बॉक्स व डिजायन खुद जमशेद ने ही तैयार किया है। जमशेद अब इस ट्रैक्टर को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ने पर काम कर रहा है। इसके तहत एक प्रोग्रामिंग की जाएगी, जिससे ट्रैक्टर को चलाने के लिए किसी ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसे कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए संचालित किया जा सकेगा। ट्रैक्टर का नाम वासा 10 दिया गया है। अंग्रेजी में वासा का तात्पर्य जमशेद के परिवार के बच्चों के शुरुआती नाम हैं। दो महीने पहले बने इस ट्रैक्टर में रोजाना अब सुझावों के आधार पर सुधार का काम जारी है।
भविष्य में डिवाइस के जरिए पावर हाउस को जोड़ने की योजना बना रहा जमशेद, जिससे हादसों के शिकार न हों लाइनमैन
जमशेद का कहना है कि बिजली कंपनी में 80 फीसदी हादसे लाइनमैनों के काम करते समय पावर सप्लाई ऑन होने की वजह से होते हैं। मैं एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। इसमें एक डिवाइस के जरिए पावर हाउस को जोड़ा जाएगा और उसकी प्रोग्रामिंग इस तरीके से की जाएगी कि लाइन पर काम करते समय पॉवर कट होने के बाद पावर हाउस तब तक लॉक रहेगा, जब तक लाइनमैन उसे खोलने की अनुमति नहीं देगा। इसके लिए एप के जरिए इसे लाइनमैन के मोबाइल से जोड़ा जाएगा।
जमशेद का कहना है कि मैं किसी भी काम में पचता नहीं हूं बल्कि बचता हूं। मतलब साफ है कि जब मशीनी युग आ गया है तो किसी भी काम में मेहनत क्यों करना। सिर्फ दिमाग लगाना है, मशीनें अपने आप काम करेंगी। जमशेद ने कहा कि ट्रैक्टर बनाने से पहले मैंने घर के दरवाजे सहित अधिकांश काम खुद ही किए हैं। ट्रैक्टर बनाने के बाद मेरा प्रोग्रामिंग के लिए व अन्य नवाचारों के लिए एप गुरु इमरान खान व राजेश लवानिया से मिलना हुआ। मैं जानता हूं कि किसी भी काम को सरल बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी और सोच को बदलना ही होगा।
लाइनमैन है जमशेद, सोच वैज्ञानिकों जैसी
जमशेद बिजली कंपनी में लाइनमैन है, लेकिन उसकी सोच किसी वैज्ञानिक से कम नहीं है। वर्ष 2010-11 में इलेक्ट्रीशियन से आईटीआई करने के बाद उसे यह नौकरी मिली। जमशेद ने इससे पहले एक हैलिकॉप्टर भी बनाया था, लेकिन उसमें पूरी तरह सफलता नहीं मिल पाई थी। फिलहाल जमशेद ने अपने हाथों से एक चूल्हा भी बनाया हुआ है। स्टील के इस चूल्हे में रोटी बनाने के साथ पानी गर्म होने की भी सुविधा है। इसके अलावा दीवारों पर प्लास्टर करने की एक मशीन पर भी काम चल रहा है। परिवार में जमशेद के अलावा पिता इसराइल खान, बेटा वसीम, अपसाना के अलावा भाई भी हैं। रोजाना सुबह 8 से शाम 5 बजे तक ड्यूटी के मिले समय व छुट्टियों के दिनों में उसने यह प्रोजेक्टर पूरा किया।
कंटेंट/फोटोज- मनोज गुप्ता
Input : Dainik Bhaskar