पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा आज पटना में बिहार चुनाव के पहले तीसरे मोर्चे का ऐलान करेंगे। यशवंत सिन्हा पिछले दिनों ही बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए थे और उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए थे कि एनडीए और महागठबंधन से अलग रहने वाले नेताओं को वह एक साथ लाएंगे। यशवंत सिन्हा आज सुबह 11:30 बजे एक प्रेस वार्ता करने वाले हैं जिसमें उनके साथ बिहार के कई अन्य राजनेता भी मौजूद रहेंगे।
यशवंत सिन्हा बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे की मौजूदगी का एहसास करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव से भी बातचीत की है। इसके अलावा नागमणि और पूर्व सांसद अरुण कुमार के साथ-साथ रेणु कुशवाहा, नरेंद्र सिंह और अरुण श्रीवास्तव जैसे नेता भी यशवंत सिन्हा के संपर्क में हैं। यशवंत सिन्हा की नजर ऐसे नेताओं पर है जो एनडीए से बाहर है और फिलहाल जिनका एडजस्टमेंट महागठबंधन में नजर नहीं आ रहा। यशवंत सिन्हा आज अपने अगली रणनीति का खुलासा करने वाले हैं। फर्स्ट बिहार से बातचीत में समाजवादी समागम से जुड़े नेता अरुण श्रीवास्तव ने कहा है कि यशवंत सिन्हा की कोशिश से सराहनीय है लेकिन यह बात सभी छोटे दलों को समझना होगा कि एकजुटता के बिना वह बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकते। अरुण श्रीवास्तव ने कहा है कि सभी छोटे दलों को एकजुट होकर एक साथ आना चाहिए और तब कांग्रेस से आगे की बातचीत होनी चाहिए। अरुण श्रीवास्तव ने कहा है कि शरद यादव और शरद पवार जैसे नेता इस मामले में यशवंत सिन्हा की मदद कर सकते हैं।
तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर यशवंत सिन्हा की तरफ से किए जा रहे प्रयासों के बाद सियासी गलियारे में एक सवाल तैर रहा है कि आखिर इस नए फ्रंट से चुनाव में किसे फायदा होगा? सियासी जानकार मानते हैं कि नए मोर्चे का वजूद चुनाव के बाद मजबूती के साथ उभर कर आएगा इसमें संदेह है। लेकिन अगर एनडीए से अलग होकर जाने वाले नेता एक फोरम पर आते हैं तो इसका नुकसान सीटें बीजेपी और जेडीयू को पहुंचेगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यशवंत सिन्हा तीसरे मोर्चे का गठन एनडीए को झटका देने के लिए कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी से यशवंत सिन्हा की नाराजगी जगजाहिर है। यशवंत सिन्हा इसके पहले यूपी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी नजर आ चुके हैं। चर्चा है कि यशवंत सिन्हा ने तेजस्वी यादव से बातचीत की है लेकिन इस खबर की पुष्टि नहीं हो सकी है। आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी यशवंत सिन्हा से मुलाकात की है हालांकि फर्स्ट बिहार को उन्होंने बताया है कि यशवंत सिन्हा से उनकी मुलाकात व्यक्तिगत है और इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं। यशवंत सिन्हा बिहार में छोटे-छोटे राजनीतिक दलों और बिखरे हुए नेताओं को एकजुट करने के मिशन पर निकले हैं लेकिन यह काम इतना आसान नहीं दिखता। ऐसे में इंतजार बात का करना होगा कि बिहार चुनाव के पहले यशवंत सिन्हा को अपने इस अभियान में किस हद तक सफलता मिल पाती है।
Input : First Bihar