उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के महदेवा का प्राचीन शिव मंदिर वर्षो से भक्तों के आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। सावन मास के साथ प्रत्येक सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ होती है। स्थानीय लोग मंदिर को बउरहवा बाबा के नाम से पुकराते हैं।
किवंदती के अनुसार कई सौ वर्ष पहले एक चरवाहा गाय चराते हुए उंचे टीले पर पहुंच गया। वहां पर एक शिवलिंग पर उसकी नजर पड़ी। चरवाहे के कोई संतान नहीं थे, उसने शिवलिंग के पास जाकर संतान प्राप्ति का मन्नत मांगा। कुछ दिनों के बाद उसे संतान की प्राप्ति हो गई।
उसके बाद से शिवलिंग की साफ-सफाई निरंतर करने लगा। शिवलिंग का आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता गया। आज वह शिवलिंग विशाल रूप धारण कर लिया है। मान्यता है कि क्षेत्र में कभी भी सूखा का प्रकोप होता है, तो बउरहवां बाबा मंदिर पर जलाभिषेक करके शिवलिंग को पूरा डूबा देते हैं। उस रात जरूर बारिश होती है।
ग्राम प्रधान ने कराया जीर्णोद्धार
करीब 50 वर्ष पहले क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ा था। किसानों के फसल सूख कर नष्ट हो गए थे। लोग मंदिर में पहुंचे और दूध, जल चढ़ाया। सुबह से लेकर शाम तक शिवलिंग को दूध और जल से डूबा दिए। इस दौरान काला नाग निकला और उसी जल में तैरने लगा। शाम होते ही नाग विलुप्त हो गए। उसके बाद रात में खूब बारिश हुआ। तभी से जब भी क्षेत्र में सूखा पड़ता है तो लोग बउरहवा बाबा की शरण में जाते हैं।
मंदिर के पुजारी राम आसरे ने बताया कि मंदिर की अलग महत्व है, सच्चे मन से मांगी गई सभी मनौती पूर्ण होती है।
ग्राम प्रधान विनोद चौधरी ने जर्जर मंदिर को भव्य रूप देने के लिए मंदिर को करीब सात लाख की लागत से जीर्णोद्धार कराया। प्रधान ने कहा कि शिव में गहरी आस्था है। इस लिए मंदिर को भव्य रूप दिया। शिवरात्रि के दिन क्षेत्र के कई जिलों के लोग यहां जल चढ़ाने पहुंचते हैं।