भारत की अध्यक्षता में हुए जी20 सम्मेलन के घोषणापत्र से खफा यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक ने भारत के लोगों को कम अक्ल बता दिया है। उन्होंने भारत ही नहीं चीन के लोगों को भी कमजोर बौद्धिक क्षमता वाला बताया है। उन्होंने कहा कि ये लोग जो कदम उठाते हैं उसके बारे में नहीं जानते की परिणाम क्या होने वाला है। स्पुतनिक में छपे एक लेख में उनको कोट करते हुए कहा गया है कि चीन और भारत के लोगों की बौद्धिक क्षमता कम है।

पोडोल्याक ने कहा, ‘भारत और चीन के साथ क्या गड़बड़ है। समस्या यह है कि ये लोग जो करते हैं उसके परिणाम पर विचार नहीं करते। इन देशों के पास बहुत ही कमजौर बौद्धिक क्षमता है।’ उन्होंने कहा, हां यह सही है कि वे लोग विज्ञान में निवेश करते हैं। भारत ने लूनर रोवर लॉन्च किया जो कि चांद की सतह पर है लेकिन इससे यह नहीं पता लगता कि उनमें आधुनिक दुनिया को समझने की क्षमता है।

स्पुतनिक में इस आर्टिकल के छपने के बाद पोडोल्याक का एक पूराना वीडियो में भी वह चंद्रयान-3 मिशन की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि चंद्रयान मिशन की सफलता का मतलब यह नहीं कि भारत के लोग बहुत समझदार हैं। बता दें कि इसी साल अप्रैल में यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने देवी काली की एक ऐसी तस्वीर पोस्ट की थी जिसपर विवाद हो गया था। बता दें कि भारत ने रूस और यूक्रेन के युद्ध पर तटस्थ रुख अपनाया है और इसी से यूक्रेन को दिक्कत है। वह चाहता है कि भारत खुलकर रूस का विरोध करे और तेल का आयात भी रोक दे। इसी को लेकर यूक्रेनी लोग वहां रहने वाले भारतीयों को भी परेशान करते हैं।

राजधानी दिल्ली में हुए जी20 सम्मेलन के दौरान भारत साझा बयान पर सहमति बनवाने पर कामयाब हुआ। इस सम्मेलन में रूस के विदेश मंत्री ने भी हिस्सा लिया था। उन्होंने इस घोषणापत्र की तारीफ भी की। घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध को दुनिया के लिए संकट बताया गया था लेकिन कहीं भी रूस का जिक्र नहीं किया गया था। इसको लेकर यूक्रेन नाराज नजर आ रहा है। रूसी विदेशमंत्री लावरोव नने कहा था कि हम सम्मेलन के अजेंडे को यूक्रेनाइज करने के पश्चिमी प्रयास से बच गए। वहीं यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि जी20 घोषणापत्र में ऐसा कुछ नहीं है जिसपर गर्व किया जाए।

जब से युद्ध शुरू हुआ है भारत की तरफ से लगातार कहा गया है कि वह जंग के खिलाफ है। पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यह भी कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है। भारत ने युद्ध को खत्म करने में बातचीत का समर्थन किया था। हालांकि यूक्रेन चाहता है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरह भारत भी रूस के खिलाफ मोर्चा खोल दे और यूक्रेन का हर मामले में साथ दे।

Source : Hindustan

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