एक लड़ाकू विमान का बेहतरीन पायलट बनने के लिए क्या ज़रूरी है? पाकिस्तानी सेना की कैद से आज़ाद होकर भारत लौट रहे वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान आठ साल पुराने एक वीडियो में इस सवाल का जवाब देते दिखते हैं ‘बैड एटिट्यूड’. पाकिस्तान में कैद होने के दौरान सोशल मीडिया पर आईं अभिनंदन की तस्वीरों में उनकी जांबाज़ी और स्थिरता को देखकर वर्तमान फैमिली को करीब से जानने वाले रिटायर्ड सेनाधिकारी का कहना है कि अभिनंदन में ये साहस और अटलता अपनी मां से आई.

कई दशकों से अभिनंदन वर्तमान के परिवार के करीबी रहे रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन तरुण के सिंघा ने न्यूज़ 18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि पाकिस्तान से अभिनंदन की जो तस्वीरें सामने आईं, उसमें वो शांत और स्थिर दिख रहे थे और ये वो गुण हैं, जो उनमें उनकी मां डॉ. शोभा वर्तमान के जीन्स के कारण आया है. शोभा मेडिसिन सैन्स फ्रंटियर के साथ दुनिया के कई युद्ध और संघर्षग्रस्त इलाकों में बतौर डॉक्टर सेवाएं दे चुकी हैं.

चेन्नई से न्यूज़ 18 से बातचीत करते हुए सिंघा ने कहा कि ‘शोभा मज़बूत गुणों वाली महिला रही हैं. युद्धों से जूझ रहे मुश्किल हालात वाले इलाकों में जाकर वो मानवता की सेवा कर चुकी हैं, घायलों के इलाज साथ ही उन्होंने हैती में गर्भवती महिलाओं और उनके नवजातों तक की जान बचाई है.’

अभिनंदन दुश्मन देश की कैद में था और ऐसे वक्त में सिंघा ने शोभा को मैसेज किया था. हालांकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतने तनाव भरे समय में शोभा मैसेज देखेंगी या उसका कोई जवाब देंगी लेकिन 15 मिनट के भीतर रात के वक्त शोभा ने उसका जवाब दिया. यह शोभा के मज़बूत चरित्र, उनकी मानसिक ताकत और उनकी दृढ़ता को दर्शाता है क्यों​कि ऐसे वक्त में भी वह खुद को स्थिर रख पा रही थीं.

युद्धग्रस्त इलाकों में घायलों की सेवा करने के साथ ही, डॉ. शोभा स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दों पर एक्टिविस्ट के तौर पर भी सक्रिय रही हैं. करीब दो साल पहले ही उन्होंने बच्चों के यौन शोषण के दोषियों को सख्त सज़ा की पैरवी के लिए इंटरनेट पर एक कैंपेन लॉंच किया था.

शोभा के कज़िन सी. कुंदनाधन का कहना है कि ‘शोभा बचपन से ही बेहद बोल्ड रही हैं. अभिनंदन के माता पिता दोनों ही बोल्ड रहे, लेकिन मां यानी शोभा ज़्यादा. शायद इसका कारण यह रहा हो कि उन्होंने मुश्किल हालात का सामना बचपन से ही किया है. उन्होंने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था.’

सिंघा पहले भी शोभा के बारे में एक आर्टिकल लिख चुके हैं, जिसमें उन्होंने जिक्र किया था कि वो किन खतरों का सामना करती रहीं. न्यूज़ 18 को उन्होंने उस आर्टिकल में लिखे कुछ फैक्ट बताते हुए याद किया कि ‘2005 में आइवरी कोस्ट के उत्तरी इलाके में एके 47 और धारदार चाकुओं का बोलबाला था. इस विद्रोही इलाके में शोभा गईं वो भी तब जबकि वो 300 किमी दूर यूएन के शांति कॉरिडोर में थीं.’

नागरिक युद्धों के तुरंत बाद के हालात में शोभा नाइजीरिया और लाइबेरिया भी गई थीं. इसके अलावा, इराक में, दूसरे खाड़ी युद्ध के दौरान जान जोखिम में डालने वाले हालात में भी वो जाने से नहीं कतराईं क्योंकि उस समय वही अकेली एनस्थीसियोलॉजिस्ट थीं. उन्होंने ईरान और इराक के संघर्ष का सबसे खतरनाक वक्त देखा. उसके बाद उन्होंने पपुआ न्यू गिनिया में 2009 में उन आदिवासियों का इलाज किया जिनके सिर में तीर और ऐसे ही पुराने हथियारों से हमला किया गया था.

सिंघा ने हैती के उस मिशन को भी याद किया जब आपराधिक समूहों के गढ़ में शोभा ने 3 लाख भूकंप पीड़ितों की सेवा की थी. ऐसी बहुत सी बातें याद करते हुए शोभा के हौसले और हिम्मत पर बातें कीं, जो उनकी तरफ से बार बार इस बात का इशारा था कि देश के वीर नायक बन चुके अभिनंदन के चरित्र में वीरता और साहस के गुणों का स्रोत क्या है.

गौरतलब है कि आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर भारत की एयर स्ट्राइक के बाद दुश्मनों का सामना करते हुए मिग 21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण इस के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान की ज़मीन पर लैंड करना पड़ा था. हालांकि, करीब 48 घंटों में ही अभिनंदन की भारत वापसी का रास्ता साफ हो गया और उन्हें शुक्रवार को वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत के सुपुर्द किए जाने की कार्यवाही की गई.

Input : News18

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