ऐ खुदा यूं रात में कोई रोया न करे, करिश्मा कर दे कोई भूखा न सोया करे… इन पंक्तियाें काे सच कर रहा है बालूघाट का एक परिवार। वह भी बिना किसी प्रचार-प्रसार के। परिवार के लाेग हर दिन शाम 7 बजे मजबूर, मजदूर और मजलूमाें काे भाेजन कराते हैं। यह सिलसिला दाे वर्ष से चल रहा है। नीतीश्वर कॉलेज के नजदीक लाइन में लगकर तो कभी पंगत में भोजन कराया जाता है। चावल-दाल, सब्जी तो कभी पूरी, सब्जी और शनिवार को खिचड़ी दी जाती है। बालूघाट के विनोद कुमार परिवार के साथ यह काम करते हैं। इसे वह अपना धर्म समझते हैं। इसमें भाई मुकेश कुमार व पत्नी डॉ. मनीषा कुमारी भी हाथ बंटाती हैं।
वह कहती हैं कि जरूरतमंद परिवार के सदस्य बन गए हैं। उन्हें भूखे कैसे छोड़ सकते हैं। घर से भोजन तैयार कर गरीब, बेसहारा, रिक्शा चालक समेत अन्य इंतजार कर रहे लाेगाें तक पहुंचाया जाता है। देरी होने पर वह रास्ता देखते रहते हैं। शिव सेवा संस्थान के बैनर तले यह काम चल रहा है। हर दिन 40 व्यक्तियों के लिए परिवार के लाेग खाना बनाते हैं। लॉकडाउन में भी उन्होंने सैकड़ों लाेगाें को भोजन दिया था।
भिखारी ने कहा था- पैसे नहीं, हमें भोजन दो
विनाेद बताते हैं, मंदिर के बाहर बैठे एक भिखारी ने कहा था कि उसे पैसे नहीं भोजन चाहिए। इस पर विनोद कुमार ने ठान लिया कि वे जरूरतमंदों के लिए कुछ करेंगे। तभी से उन्होंने रात में भोजन की व्यवस्था की। उन्हाेंने कहा, समाज के सक्षम लोगों को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। जन्मदिन या शुभ अवसर पर भूखे लाेगाें को भोजन कराने से उन्हें तृप्ति मिलेगी। विनाेद ने कहा, अगर उन्हें मदद मिली तो स्थाई ठिकाना बनाकर दिन में भी इसकी शुरुआत करेंगे।
अब रात में भाेजन के लिए भटकना नहीं पड़ता
हरिसभा चौक पर रिक्शा लेकर खड़े मुन्नीलाल राम ने बताया, रात में उन्हें खाने के लिए भटकना नहीं पड़ता। अासानी से भाेजन की व्यवस्था हाे जाती है। इससे पैसे की भी बचत हो जाती है। वहीं, छोटेलाल ने कहा, वे नियमित रात में पंगत में बैठकर भोजन करते हैं।
पहले स्टेशन पर कराते थे भूखे लाेगाें काे भाेजन
विनोद कुमार बताते हैं कि शुरुआत में वे स्टेशन के आसपास भूखे लाेगाें को भोजन कराते थे। इस बीच नशेड़ियों का झुंड आकर उनसे ज्यादा खाने के पैकेट मांगने लगा। इससे वहां जाना छोड़ दिया। किसी ने उन्हें नीतीश्वर कॉलेज के पास की जगह बताई। यह जगह साफ-सुथरी है, ट्रैफिक की समस्या नहीं थी। इसलिए यहां भाेजन कराने में दिक्कत नहीं हाेती।
Input: dainik bhaskar