कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत की खबरें आपने पढ़ी होंगी, लेकिन दिल्ली सरकार का एक हालिया सर्वे रिपोर्ट देखने के बाद आप हैरान रह जाएंगे. इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की सड़कों या गली-कूचों में भीख मांगने वालों की संख्या में बड़ी तादाद वैसे लोगों की है, जिन्होंने कोरोनाकाल में अपनी नौकरियां या रोजगार गंवाई है. इसी साल फरवरी और अप्रैल में किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगने वालों में 52 फीसदी ‘नए भिखारी’ हैं, जो पिछले 5 साल से भिक्षावृत्ति को मजबूर हैं. 40 फीसदी इससे ज्यादा समय से भीख मांग रहे हैं, जबकि सिर्फ 8 प्रतिशत ही भिखारी हैं, जो बचपन से ऐसा करने को विवश हैं.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, IHD के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि भिक्षावृत्ति को विवश लोगों में सबसे ज्यादा संख्या उन भिखारियों की है, जिन्हें गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता (अनपढ़) या फिर विकलांगता की वजह से इस पेशे को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के कई इलाकों में ऐसे भिखारियों की संख्या भी बढ़ी है, जिनका कोरोना महामारी की वजह से रोजगार खत्म हो गया है. IHD की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में शामिल 20000 से ज्यादा यानी 65 फीसदी भिखारियों की आमदनी रोजाना 200 रुपए से भी कम है, वहीं 23 प्रतिशत 200 से 500 रुपए कमा लेते हैं. इसके अलावा 12 प्रतिशत ही ऐसे भिखारी हैं जिनकी आमदनी 500 से ज्यादा है.

IHD की रिपोर्ट की प्रमुख बातें

– भीख मांगने के पेशे में उतरने को मजबूर आधे से ज्यादा (55%) लोगों के पास रहने को छत नहीं है या वे गृह-विहीन हैं.

– दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगने वाले 45 फीसदी लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं.

– कोरोना महामारी की वजह से भीख मांगने को विवश लोगों में एक बड़ी संख्या उनकी भी है, जो आमदनी पूरी नहीं पड़ने पर भीख मांगकर गुजारा कर रहे हैं.

– सर्वे में शामिल कुल लोगों में से 20 फीसदी ऐसे भिखारी हैं, जो इस पेशे में आने से पहले भवन-निर्माण, फैक्ट्री मजदूर, घरेलू कार्य, कूड़ा बीनने वाले, गलियों में ठेला-खोमचा लगाने वाले या रिक्शा चलाते थे.

– सर्वे में शामिल कुल लोगों में से एक चौथाई के घरवाले भी दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर जाकर भीख मांगते हैं.

– अंशकालिक या कम पैसे वाली नौकरी से जुड़े लोगों को भी इस पेशे में उतरने को मजबूर होना पड़ा है.

Source : News18

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