पिछले करीब 12 वर्षों से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजारों तीमारदारों को मुफ्त में भोजन की सुविधा देने वाले विशाल सिंह ने कोरोना महामारी के दौरान भी लोगों की भरपूर मदद की. ‘फूडमैन’ के नाम से मशहूर विशाल ‘प्रसादम सेवा’ के जरिए गरीबों को मुफ्त में भोजन कराते हैं. जरूरतमंद लोगों के लिए हाल ही में विशाल को उत्तर प्रदेश के राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सम्मानित भी किया है.

किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में न्यूरोलाजी विभाग के ठीक सामने इनकी संस्था गरीब तीमारदारों को भोजन कराती है.

लोगों को मुफ्त में खाना खिलाता है ये फूडमैन

दरअसल, विशाल मूल रूप से फि‍रोजाबाद के शि‍कोहाबाद इलाके के रहने वाले हैं. इनके पिता सिंचाई विभाग में कार्यरत थे इसलिए विशाल की शुरुआती शि‍क्षा रुड़की में हुई. 2003 में विशाल के पिता सांस की गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए. गुड़गांव के एक निजी अस्पताल के आइसीयू में इनके पिताजी लंबे समय तक एडमिट रहे. पिता की बीमारी में काफी पैसा खर्च होने पर इनके परिवार की माली हालत काफी खराब हो गई.

इसी दौरान ऐसा समय भी आया जब विशाल और उनके परिवारीजनो को भूखे पेट रह कर अस्पताल में भर्ती पिता की तीमारदारी करनी पड़ी. कई बार लोगों से मांग कर अपने और परिवार के लिए भोजन का इंतजाम करना पड़ा. अस्पताल में कठिन समय गुजारने के दौरान विशाल ने संकल्प किया कि जब कभी समर्थ हुए तो वे अस्पताल में मरीजों के साथ रहने वाले गरीब तीमारदारों को मुफ्त में भोजन देने का काम करेंगे.

2003 में पिता की मौत के बाद विशाल लखनऊ आ गए. हजरतगंज के पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान की निगरानी में शनिमंदिर के सामने लगने वाले साइकिल स्टैंड में विशाल टोकन लगाने का काम करने लगे. साइकिल स्टैंड पर कुछ समय तक काम करने के बाद विशाल ने चाय की दुकान खोल ली. यहां से कुछ पैसे बचाकर ‘इलेक्ट्रोड अर्थ‍िंग’ का काम शुरू किया. यहां से इनकी आमदनी बढ़ी. विशाल की आर्थ‍िक स्थ‍िति में सुधार होना शुरू हुआ.

लोगों को मुफ्त में खाना खिलाता है ये फूडमैन

इस व्यवसाय से कुछ पैसे बचाए तो कम आमदनी वालों के लिए छोटे-छोटे मकान बनाने के रियल एस्टेट व्यवसाय में भी हाथ आजमाया. यह व्यवसाय खूब फूला-फला और अब विशाल की संपन्नता का दौर शुरू हुआ. इसी समय वर्ष 2007 में अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर घर में खाना बनाकर लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में तीमारदारों के बीच बांटने लगे. इस काम को एक संस्थागत रूप देने के लिए वर्ष 2009 में विशाल ने अपने पिता के नाम पर ‘विजयश्री फाउंडेशन’ संस्था की शुरुआत की. इसके बाद घर में ही भोजन बनवाकर केजीएमयू में अपने मरीज का इलाज करा रहे गरीब तीमारदारों को वे सुबह और शाम को बांटने लगे.

तीमारदारों के बीच विशाल की सेवा देखकर वर्ष 2015 में केजीएमयू के तत्कालीन कुलपति प्रो. रविकांत ने इन्हें न्यूरोलाजी विभाग के सामने मौजूद हॉल आवंटित कर दिया. अब विशाल ने इस हॉल में तीमारदारों को बैठाकर भोजन कराना शुरू किया और इस व्यवस्था को ‘श्री विजयश्री फाउंडेशन प्रसादम सेवा’ नाम दिया. अब हॉल में तीमारदारों को पंगत में बैठाकर स्टील की थाली में भोजन कराना शुरू किया.

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प्रसादम सेवा में ज्यादा समय देने के कारण विशाल का व्यवसाय उपेक्षि‍त हो गया. व्यवसाय में इन्हें घाटा होने लगा और वह बीमार पड़ गए. केजीएमयू में ही इनका इलाज चला. ठीक होने के बाद विशाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रसादम सेवा के लिए संसाधन के इंतजाम करने की थी. विशाल ने अपने संपर्क के लोगों से अपील की कि वे अपने या अपने बच्चों का जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे आयोजन प्रसादम सेवा के साथ तीमारदारों के बीच मनाएं. इसके बाद लोग आगे आना शुरू हुए. विशाल ने लोगों से पैसा नहीं बल्कि राशन की मांग की. लोग खुद अपने हाथों से तीमारदारों को भोजन कराने लगे. अब करीब 3,000 लोग प्रसादम सेवा से जुड़कर तीमारदारों को भोजन करा रहे हैं.

लखनऊ में रोज 1,000 तीमारदारों को प्रसादम सेवा के जरिए नि:शुल्क भोजन मुहैया कराया जा रहा है. केंद्र सरकार की संस्था फूड फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अपनी मुहिम ‘सेव फूड, शेयर फूड, जॉय फूड’ के लिए विशाल को साथ में जोड़ा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में विशाल ने 7.5 लाख से अधि‍क भोजन के पैकेट जरूरतमंदों और प्रवासी मजदूरों के बीच बांटे गए थे. इसके लिए यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विशाल को 6 नवंबर को राजभवन में सम्मानित किया है.

(रिपोर्ट- लखनऊ से आशीष मिश्र)

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