मजदूरी व बांटे पर खेती करने वाले काेटकासिम के उजोली गांव निवासी रोहित ने 20 साल की उम्र में गधे की सवारी से लेकर एयर प्लेन तक का सफर तय किया है। दादा, पिता व चाचा के साथ मटके बनाकर गधे पर बेचने के पैतृक कामकाज में राेहित ने खूब हाथ बंटाया। पिता के गुजरने के बाद चाचा ने राेहित को ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में भेज दिया।

दिल्ली से MSc की पढ़ाई करते हुए रोहित ने अपनी काबिलियत के बूते एयर प्लेन से अमेरिका के लिए उड़ान भरी। अब वह अमेरिका की इण्डियाना ब्लूमिंगटन यूनिवर्सिटी पहुंच गया है। इस यूनिवर्सिटी ने रोहित को फिजिक्स में PhD करने का अवसर दिया है। जिसका पूरा खर्च यूनिवर्सिटी देगी। करीब पांच साल में रोहित को सीधे तौर पर एक करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके अलावा अन्य खर्च भी यूनिवर्सिटी के जरिए ही होगा। रोहित को मिलने वाली राशि उसकी पढ़ाई पर ही खर्च होगी। रोहित के इस सफर में परिवार के अलावा कुछ शिक्षक व समाज के अच्छे लोगों का भी योगदान रहा है, जो राेहित को हमेशा याद रहता है।

तीन साल की उम्र में ही पिता का निधन, चाचा ने संभाला

रोहित 3 साल का था, तब पिता की मौत हो गई थी। उसके बाद चाचा मनीराम ने संभाला। रोहित 10वीं तक उजोली के सरकारी स्कूल में पढ़ा। 10वीं में 80% अंक प्राप्त कर टॉप किया, 12वीं में 93% अंक हासिल किए। ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से कर टॉपर रहा। IIT मुम्बई से करने के बाद दो महीने के लिए अमेरिका में इंटर्नशिप की।
पढ़ाई के लिए 50 हजार की मदद

रोहित पढ़ाई में अव्वल था। परिवार गरीब होने के कारण पड़ोस के राबड़का गांव के बिल्लूराम यादव व गजराज ने ग्रेजुएशन के समय हर साल 50 हजार की मदद की।

10वीं तक छप्पर वाले मकान में रहा रोहित

कोटकासिम क्षेत्र के उजोली गांव के इस पुराने मकान में रोहित 10वीं कक्षा तक रहा। घर की दीवारों के ऊपर छप्पर होता था। हालांकि अब पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपना तीन कमरे का अलग मकान बना लिया है।

Input: Dainik Bhaskar

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