पेट्रोलियम मंत्रालय से लाइसेंस मिलने के चक्कर में एसकेएमसीएच में करीब 2000 लीटर उत्पादन की क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट से उत्पादन शुरू नहीं हो पा रहा है। इसे लगानेवाली कंपनी बीएमआईसीएल सुस्त पड़ी है। नतीजा यह है कि उत्पादन शुरू किए जाने के लिए अब तक सिर्फ तारीख मिली है। जबकि, यदि समय से इस प्लांट से उत्पादन शुरू हो गया हाेता तो सिर्फ एसकेएमसीएच के पिछले 3 माह में कम से कम 57 लाख रुपए बचे हाेते। कोरोना की दूसरी लहर जब पिक पर थी और ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था, ताे स्वास्थ्य विभाग ने बीएमआईसीएल काे एसकेएमसीएच परिसर में 2000 लीटर प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए कहा था। बीएमआईसीएल के पदाधिकारी ने जिला प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन को 15 दिनों में उत्पादन शुरू कर देने का आश्वासन दिया था।
कंपनी ने 1000 लीटर की एक टंकी भी खड़ी कर दी थी जिससे विभिन्न वार्डों में पाइपलाइन जोड़ दी गई। लेकिन, कोरोना संक्रमण ज्याेंहि थाेड़ा कम हु, यह प्लांट अटक गया। इस बीच एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ. बीएस झा 5 दिनों से पेट्राेलियम मंत्रालय की साइट पर सर्च कर रहे हैं, लेकिन अब तक लाइसेंस नहीं मिला है। कहते हैं कि कंपनी भी सहयाेग नहीं कर रही है। बता दें कि एसकेएमसीएच परिसर में अलग-अलग एजेंसियों को 5 प्लांट लगाने हैं। लेकिन, बीएमआईसीएल द्वारा एक टंकी खड़ी किए जाने के अलावा किसी प्लांट पर काम शुरू नहीं हुआ है।
सिर्फ एसकेएमसीएच में इस्तेमाल होनेवाली ऑक्सीजन पर प्रतिवर्ष खर्च होते हैं 2.28 कराेड़
एसकेएमसीएच के लिए बेला स्थित प्लांट से प्रतिदिन हाेती है 300 सिलेंडर की रिफिलिंग
एसकेएमसीएच प्रबंधन के अनुसार बेला स्थित ऑक्सीजन प्लांट से प्रतिदिन 250 से 300 सिलेंडर की रिफिलिंग कराई जाती है। रिफिलिंग के लिए अस्पताल प्रबंधन ने 300 खाली सिलेंडर खरीद रखे हैं। कंपनी ले जाने, सिलेंडर रिफिल कराने, पहुंचाने और फिर इंस्टॉल करने की जिम्मेदारी ऑक्सीजन प्लांट की होती है।
इसके एवज में एसकेएमसीएच प्रबंधन प्रतिमाह करीब 19 लाख यानी हर साल 2.28 करोड़ रुपए देता है। बता दें कि डीआरडीओ ने मार्च में ही पताही कोविड अस्पताल बंद कर एसकेएमसीएच प्रशासन को ऑक्सीजन प्लांट समेत इससे जुड़े अन्य उपकरण उपलब्ध करा दिए थे। यदि उस समय प्लांट लगाकर उत्पादन शुरू करा दिया गया हाेता ताे एसकेएमसीएच के 57 लाख रुपए आक्सीजन पर खर्च नहीं हुए हाेते।
पाइपलाइन से सीधे मरीज के बेड तक पहुंच जाएगी ऑक्सीजन
एसकेएमसी के प्राचार्य डाॅ. विकास कुमार ने कहा बीएमआईसीएल को 1-1 हजार उत्पादन क्षमता वाले दो प्लांट लगाने थे। पाथ काे 100 सिलेंडर प्रतिदिन रिफिल करनेवाला पीएसआर प्लांट लगाना था। पेट्रोलियम मंत्रालय और आईसीआईसीआई बैंक की ओर से 100-100 सिलेंडर रिफिलिंग क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट लगने थे। कोरोना के पिक टाइम में सभी कंपनियों के पदाधिकारी मिले, स्थल देखा।
लेकिन, उसके बाद फिर कभी नहीं मिले। कहा कि बीएमआईसीएल के 1000-1000 लीटर वाले प्लांट से पाइपलाइन के जरिए मरीज के बेड तक सीधा ऑक्सीजन पहुंचेगी। फ्लो में भी कोई कमी नहीं होगी और 24 घंटे निर्बाध आपूर्ति होती रहेगी। प्लांट का अपना कंट्रोल पैनल होगा, जहां से पता लगेगा कि स्टॉक में कितनी ऑक्सीजन है। स्टॉक कम होते ही उत्पादन शुरू हाे जाएगा। कमी होने पर झारखंड के बोकारो से लिक्विड गैस मंगाकर इस टंकी में डाली जा सकती है जिसे ऑक्सीजन में परिणत कर पाइपलाइन से बेड तक सप्लाई होगी।
Source : Dainik Bhaskar