राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) की पुत्री रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) की पूजा पद्धति पर सवाल उठाकर राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी (Sushil Modi) बुरे फंस गए हैं। राजद ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के ट्वीट की आलोचना करते हुए उनपर धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मर्यादा तोड़ने का आरोप लगाया है।

सोच और वैचारिक स्तर समझें

राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि सुशील मोदी का राजनीतिक विरोध लालू-तेजस्वी परिवार से समझा जा सकता है। परंतु यदि वे उस परिवार के किसी गैर राजनीतिक सदस्य की पूजा पद्धति और उसकी धार्मिक आस्था पर कटाक्ष करते हैं तो उनकी सोच और वैचारिक स्तर को समझा जा सकता है।

उनके बयान को कोई गंभीरता से नहीं लेता

राजद नेता ने कहा कि सुशील मोदी के लिए धर्म राजनीतिक व्यापार का साधन हो सकता है पर औरों के लिए वह जीवन शैली है जो उसकी आस्था से भी जुड़ा हुआ है। हालांकि उनके बयान को कोई गंभीरता से नहीं लेता है। फिर भी उनका ट्वीट राजनीतिक और सामाजिक मर्यादा के उल्लंघन के साथ धार्मिक आस्था को भी खंडित करता है।

रोहिणी के रोजा रखने पर उठाए थे सवाल

गौरतलब है कि चारा घोटाले के मामले में जेल में बंद लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने पिता की रिहाई के लिए रोजा रखने की बात कही थी। रोहिणी ने इसका ऐलान खुद अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया था। इसी को लेकर सुशील मोदी ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव ना ठीक से हिंदू हो पाये, न इस्लाम की शिक्षा ग्रहण कर पाए। उन्होंने कहा था कि कोई भी धर्म गरीबों-दलितों को सताने की इजाजत नहीं देता। इतना ही नहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तंज करते हुए कहा था कि लालू के जेल जाने के बाद उनके घर छठ की रौनक नहीं दिखती है।

Input: Dainik Jagran

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