छठ महापर्व के तीसरे दिन शुक्रवार को छठी मइया को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसको लेकर व्रती व उनके परिजन गेहूं के आटे से ठेकुआ व चावल के आटे से कसार बनाएंगे। इसके बाद सूप, डगरा, मिट्टी के ढंक्कन व डलिया में ठेकुआ, कसार, मौसमी फल, नारियल, मूली, अदरक, सूथनी, बोरो व अरकपात रख दउरा में अर्घ्य सजाएंगे।

दोपहर बाद शहर के विभिन्न छठ घाटों व मोहल्लों में बनाए गए कृत्रिम घाट पर सभी एकत्रित होंगे। मिट्टी के बने सिरसोप्ता भगवान का पूजन कर कलश के ऊपर अर्घ्य रख दीया व अगरबत्ती जलाकर छठ लोकगीत से आराधना करेंगे। इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। मन्नत पूरी होने पर शाम में कोसी पूजन भी करेंगे। मान्यता के अनुसार, पानी में खड़े होने व दंड देते घाट पर जाने का विधान भी व्रती पूरा करेंगे।

कृत्रिम घाटों की सजावट

इस बार कोरोना के कारण अधिकतर श्रद्धालु गली-मोहल्लों व छतों पर बने कृत्रिम घाट पर ही अर्घ्य देंगे। इसलिए कृत्रिम घाटों की सजावट में शुक्रवार की सुबह से ही लोग लगे रहेंगे। रंग-बिरंगे गुब्बारे व झालरों से सजाने के साथ रंगोली भी बनाई जाएगी। ब्रह्मपुरा की कोमल बताती हैं कि छत पर अर्घ्य देने की तैयारी है। वहीं बैरिया के मनोज कुमार व कुणाल कुमार बताते हैं कि मोहल्ले में 12 से 15 घर हैं। सभी के लिए कृत्रिम घाट मोहल्ले में ही तैयार किया गया है।

Input: Live Hindustan

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