प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़कर खराब श्रेणी के करीब पहुंच गया है। शनिवार को शहर का औसत एक्यूआई 168 पर पहुंच गया, जबकि हवा में सूक्ष्म धूल कण पीएम 2.5 की मात्रा अधिकतम 302 होने से बीमार लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है। डाॅक्टराें के अनुसार, कोरोना के दौर में यदि प्रदूषण और तेजी से बढ़ा तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।
नेशनल एयर क्वाॅलिटी इंडेक्स के मुताबिक, पीएम 2.5 की मात्रा 200 से ऊपर होने पर हवा की गुणवत्ता खराब मानी जाती है। लॉकडाउन के बाद इसमें अप्रत्याशित कमी आई। यह स्थिति सितंबर तक रही, लेकिन अक्टूबर की शुरुआत से शहर एक बार फिर प्रदूषण की चपेट में आ गया। 20 दिन पहले शहर का एक्यूआई 139 रहा। वहीं, अब यह खराब स्तर पर पहुंचने के करीब है।
यदि यही हालात रहा ताे दिवाली तक प्रदूषण पिछले साल की तरह ही हो जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने इसे लेकर जिला प्रशासन को आगाह किया है, ताकि प्रदूषण खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचे। सड़कों पर घूमने या खरीदारी को निकलने पर सांस लेने में तकलीफ होने लगी है। आमगोला निवासी 65 वर्षीय दिनेश सिंह ने कहा, सड़कों पर चलने पर धूल से आंखों में जलन भी होने लगा है।
लॉकडाउन के दौरान शहर में एक्यूआई औसत 30-35 था
लॉकडाउन में एक्यूआई औसत 30-35 रहता था। सूक्ष्म धूल कण पीएम 2.5 की मात्रा भी औसत 12 थी। लोगों को खुले में भी शुद्ध हवा मिल रही थी, लेकिन बाजार में बढ़ती भीड़ और वाहनों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है।
ठंड में प्रदूषण और बढ़ेगा, ऐसे में सतर्क रहने की है जरूरत
जाड़े में प्रदूषण और बढ़ सकता है। डॉ. निशींद्र किंजल्क की मानें तो अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में बीमार और बुजुर्गों को खास तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। फिलहाल, वैसी स्थिति नहीं है, लेकिन आनेवाले दिनों में परेशानी होगी।
Source : Dainik Bhaskar