कोलकाता : कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों को स्वस्थ्य करने में देशभर के चिकित्सक दिन-रात एक किए हुए हैं। परंतु,कुछ ऐसे भी चिकित्सक हैं जो सिर्फ अस्पताल में ही नहीं बाहर भी लोगों की मदद में जुटे हैं। एक ऐसा ही चिकित्सक कोलकाता मे हैं जिन्होंने लॉकडाउन की वजह से फंसी एक आठ साल की बच्ची को खुद से 270 किलोमीटर कार ड्राइव कर उसे घर पहुंचाया। यह चिकित्सक कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में कार्यरत हैं। बच्ची और उसके परिवार का घर कोलकाता से 270 किमी दूर सुलुंगा में था। यही नहीं डॉक्टर ने घर छोड़ने के बाद फिर 270 किमी कार चलाई और अस्पताल में ड्यूटी शुरू की। डॉक्टर ने जब सोशल मीडिया पर पूरी कहानी बताई तो लोगों ने उन्हें इस नेक काम के लिए बधाई दी।

25 मार्च को अस्पताल से निकलते समय चिकित्सक बबलू सरदार ने एक दिहाड़ी मजदूर राजेश बास्के के परिवार को एंबुलेंस ड्राइवर से घर छोड़ने के लिए विनती करते देखा। एंबुलेंस ड्राइवर घर पहुंचाने के लिए अधिक रुपये की मांग कर रहा था, जो कि उनके लिए देना असंभव था। राजेश एक दैनिक मजदूर के रूप में वीरभूमि में एक पत्थर काटने वाली यूनिट में काम करते है।

सरदार परिवार को परेशान होते देख चिकित्सक सरदार खुद को रोक नहीं पाए। राजेश अपनी 8 साल की बच्ची एजेंला के इलाज के लिए आए थे, जिसे आंत से जुड़ी समस्या थी। वह 23 मार्च को ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुई थी। हालांकि लॉकडाउन के चलते परिवार घर जाने में असमर्थ था और अस्पताल में ही 48 घंटे तक रुका रहा।

डॉक्टर ने बताया,’उस समय काफी रात हो चुकी थी, लेकिन फिर भी परिवार घर नहीं जा पा रहा था। इसलिए मैंने उनकी मदद करने का फैसला लिया। मैं समझ सकता था कि परिवार आर्थिक तंगी के चलते घर जाने में समर्थ नहीं था। उनके घर में एक और छोटी बच्ची अकेली थी, जिसकी चिंता उनके खाए जा रही थी। एंबुलेंस ड्राइवर तकरीबन 13 हजार से 14 हजार रुपये तक मांग रहे थे जो परिवार वहन नहीं कर सकता था।

डॉक्टर ने बताया कि अगले दिन उनकी सुबह 10 बजे से ड्यूटी थी लेकिन उन्होंने उन्होंने डिनर पर जाने के बजाय परिवार को घर तक पहुंचाने का फैसला किया। सरदार ने कहा, हमने एसएसकेएम अस्पताल से 9 बजे सफर शुरू किया और करीब रात 3 बजे 270 किमी दूर सुलुंगा पहुंचा।’ डॉक्टर ने परिवार को झारखंड सीमा के पास स्थित उनके गांव तक पहुंचाया।

परिवार बोला- डॉक्टर हमारे लिए भगवान की तरह

डॉक्टर ने बताया, ‘घर पहुंचने के बाद एजेंला अपनी बहन से मिलकर काफी खुश थी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर मुझे संतुष्टि मिली। वापस आकर डॉक्टर ने अगले दिन 10 बजे अपनी ड्यूटी शुरू की। डॉक्टर ने बताया कि जब उन्होंने पूरी घटना के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा तो उन्हें ढेर सारे बधाई और अच्छे मेसेज मिले। वहीं, बास्की ने कहा, ‘मैं डॉक्टर का हमेशा ऋणी रहूंगा, वे हमारे लिए भगवान की तरह हैं।’

Input : Dainik Jagran

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