लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को वट सावित्री का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष की पूजा करेंगी। इसकी तैयारी शुरू है।

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महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती 

कपड़े सहित अन्य सामग्री की दुकानें खुल जाने से व्रतियों ने राहत की सांस लीं। पर्व को लेकर जगह-जगह विभिन्न चौक-चौराहों बांस से बने पंखे व पूजन सामग्री की दुकानें सजी हुई हैं। ज्योतिषविद् पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि पर्व में वट और सावित्री दोनों का खास महत्व माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश का वास होता है। व्रत में वट वृक्ष के चारों ओर घूमकर रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगा जाता है। सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं।

Vat Savitri : वट सावित्री कल, इस विधि से पूजा करना होता है अधिक फलदायी

सुनती हैं सावित्री-सत्यवान की कथा

पूजा के दौरान पुजारी से सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं। माना जाता है कि इस व्रत में बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन करने व व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था।

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व्रत विधि

– सुबह जगकर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।

– महिलाएं पूजन के पूर्व शृंगार आदि कर लें। पीला सिंदूर लगाएं।

– वट वृक्ष के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखकर पूजा करें।

– वृक्ष की जड़ में जल डालकर पुष्प, अक्षत, नैवेद्य आदि अर्पित करें।

– पेड़ में रक्षासूत्र बांधते हुए सात बार परिक्रमा करें, आशीर्वाद मांगें।

– इसके बाद हाथ में चना लेकर व्रत की कथा सुनें। कथा के बाद पंडित जी को दान देना न भूलें।

– दान में वस्त्र, पैसे और चना दें।

Input : Dainik Jagran

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