मुजफ्फरपुर। कई ग्रंथों के रचयिता डॉ शिवदास पांडेय का रविवार की सुबह निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को मिठनपुरा स्थित आवास सुधांजलि में रखा गया है। जहां पर लोग अंतिम दर्शन कर रहे हैं।

साहित्य जगत के सूरज का अस्त होना

आज सुबह लगभग 5 बजे डॉ शिवदास पांडेय ने अंतिम सांस ली। उनकी तबियत थोड़ी खराब चल रही थी लेकिन, चिंता की कोई बात नहीं लग रही थी। शनिवार की शाम को वे अपने आवास पर आयोजित छोटे दामाद प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ बीएन तिवारी की सालगिरह में शामिल हुए थे।

साहित्य सृजन की भूख अभी बरकरार थी

डॉ पांडेय की सृजन की भूख खत्म नहीं हुई थी। जगत गुरु श्री शंकराचार्य पर अभी वे काम कर ही रहे थे। इससे पहले उन्होंने “चाणक्य तुम लौट आओ”,”चौदह मौजा चौदह लोग””,सुबह के सितारे”,द्रोणाचार्य”, मै हूं नचिकेता” अजूरी में सप्त सागर जैसे ग्रंथों की रचना की थी।

प्रशासन के महत्वपूर्ण पदो पर रहे

वे नगर प्रशासक रहे लेकिन, इसके पूर्व  एक शिक्षक थे। आज भी नेतरहाट स्कूल के छात्र अपने अग्रेजी के शिक्षक को भूले नहीं हैं, उसके पहले  समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर, मोरंग कॉलेज विराटनगर में  भी अपनी सेवाएं दी थीं। वे अपने पीछे पांच संतान छोड़ गए हैं।

लोगों ने जताया शोक

वरीय  साहित्यकार के निधन से शहर में शोक की लहर है। चाणक्य विद्यापति सोसाइटी परिवार ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अखिल भारतीय संत समिति व गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी  जितेंद्रानंद सरस्वती, चाणक्य विद्यापति सोसाइटी के अध्यक्ष बाबा गरीब नाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक, संरक्षक शंभू नाथ चौबे, संगठन मंत्री अजयानंद झा, कोषाध्यक्ष स्नेह कुमार झा उर्फ पिंकू झा, वरीय उद्योगपति व समाजसेवी भूषण झा, छात्र नेता संकेत मिश्रा, समाजसेवी मनोज झा, राजरोशन झा ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है । इधर,  नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा, सांसद अजय निषाद, पूर्व उप मेयर विवेक कुमार, युवा जदयू  नेता अनुपम कुमार, पूर्व महानगर जदयू अध्यक्ष प्रोफ़ेसर शब्बीर अहमद, प्रोफेसर धनंजय सिंह, अखिलेश सिंह ,भाजपा ने ता मनीष कुमार, कांटी प्रखंड जदयू अध्यक्ष सौरव कुमार साहब सहित कई लोगों ने शोक प्रकट हुए करते हुए कहा कि उनके निधन से जो साहित्य जगत को क्षति हुई है उसे पूरा नहीं किया जा सकता।

शिक्षाविद डीएवी खबडा के प्राचार्य डॉ एमके झा, डीएवी के वरीय शिक्षक डॉ आरती चौधरी ने कहा कि वे जीवन के अंतिम समय तक साहित्य सृजन करते रहे।  उनका जाना मुजफ्फरपुर साहित्य जगत व सामाजिक जगत के लिए बड़ा नुकसान है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।

Input : Dainik Jagran

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