रामदयालु ओवरब्रिज से सटे स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर, मुजफ्फरपुर ही नहीं विभिन्न जिले के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां दूरदराज से लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं।

ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है। माई के दरबार में आने वाला कोई भी भक्त निराश होकर नहीं लौटता। पर्व त्योहार हो या शुभ संस्कार, लोग मां के दरबार में आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं।

इतिहास

लोगों की मानें तो ऐसे तो नवरात्र में यहां वर्षो से मां भगवती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। मगर, यह वर्तमान स्वरूप में वर्ष 2004 में आया। समाजसेवी अंबरीश सिंह ने जितेन्द्र सिंह, प्रमोद सिंह आदि के सहयोग से मंदिर का निर्माण करवाया।

जानकारी के मुताबिक, करीब 40 वर्ष पूर्व दैवी प्रेरणा से मंदिर की नींव रखी गई थी। कालांतर में जनसहयोग से मंदिर बनवाया गया। यहां बगल में ही एक भव्य शिव मंदिर भी है। यहां मां अष्टभुजी भगवती के साथ-साथ मां महालक्ष्मी, मां महासरस्वती, कार्तिक, गणपति, हनुमान व बाबा भैरवनाथ विराजमान हैं।

बताते हैं कि अभी तक ऐसी कई दृष्टांत हुए जिससे मां के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती चली गई। कहते हैं कि यहां आने वाले लोग भी खाली हाथ नहीं लौटते। मां के दर्शन से सारे संताप दूर हो जाते हैं। मां का सौम्य रूप यहां आने वाले भक्तों बार-बार आने के लिए प्रेरित करता है। शक्ति के साथ शिव का वास होने के कारण इस जगह की महत्ता बढ़ जाती है। वैसे तो यहां सालों भर लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। मगर, शारदीय व वासंतिक नवरात्र के अलावा सावन व विशेष अवसरों पर काफी भीड़ रहती है।

कोट

मां भगवती जाग्रत हैं। यहां सच्चे मन से मांगी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां कई ऐसे दृष्टांत देखने को मिले हैं, जिससे माता के प्रति लोगों की आस्था प्रबल हुई है। शारदीय नवरात्र में यहां मेले सा परिदृश्य नजर आता है।

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