पिछले दिनों अपने तल्ख़ तेवर से पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस राकेश कुमार चर्चा में आ गए. उन्होंने न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. इन विवादों के बीच जस्टिस राकेश कुमार को पुलिस मामलों की एडवायजरी बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. राज्य सरकार ने उन्हें बोर्ड के अध्यक्ष जस्टिस ज्योति शरण के रिटायर होने के बाद ये जिम्मेदारी सौंप दी है.
आपको बता दें कि एडवाइजरी बोर्ड बिहार कंट्रोल ऑफ क्राइम 1981, नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट 1980 और कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटी 1974 से जुड़े मामलों पर सरकार को सलाह देता है. इसके अध्यक्ष हाईकोर्ट के जज जस्टिस राकेश कुमार को बनाया है, वहीँ बोर्ड में दो सदस्य रिटायर्ड जज जस्टिस आदित्य नारायण चतुर्वेदी और जस्टिस रेखा कुमारी बने हैं. अध्यक्ष जस्टिस ज्योति शरण के रिटायर होने के बाद जस्टिस राकेश कुमार को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है.
गौरतलब है कि जस्टिस राकेश कुमार महादलित विकास मिशन में हुए घोटाले के एक आरोपी पूर्व आईएएस केपी रमैय्या के मामले की सुनवाई कर रहे थे.जस्टिस राकेश कुमार चारा घोटाला केस में सीबीआई के वकील भी रह चुके हैं. वहीं जस्टिस राकेश कुमार की खंडपीठ ने जजों को आवंटित बंगले पर किए जाने वाली फिजूलखर्ची पर भी कड़ी टिप्पणी की थी. उन्होंने न्यायपालिका के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किये थे.
जस्टिस राकेश कुमार के तल्ख़ तेवर के बाद पटना हाईकोर्ट के 11 सदस्यीय जजों की फुल बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार के बुधवार के आदेश को निरस्त कर दिया है. इस सम्बन्ध में चीफ़ जस्टिस एपी शाही की फुल बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है. संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है. बताया जा रहा है कि पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार से चीफ जस्टिस एपी शाही ने सारे केस वापस ले लिए हैं. चीफ जस्टिस ने नोटिस जारी कर कहा है कि अगले आदेश तक जस्टिस राकेश कुमार सिंगल बेंच की केसों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे.
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