बिहार में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के तीन पेड़ों को यदि किसी ने नुकसान पहुंचाया तो उसकी खैर नहीं। राज्य सरकार इन्हें संरक्षित करने जा रही है। जल्द इनके पाए जाने वाले तीन स्थानों को जैव विविधता विरासतीय स्थल घोषित किया जाएगा। फिर इन पौधों का व्यावसायिक प्रयोग करने वालों पर प्रतिदिन एक लाख तक जुर्माना हो सकता है। इनमें बेतिया के रघिया और मंगुराहा के अलावा कैमूर जिले का कुछ चिह्नित हिस्से शामिल हैं। तीनों पौधों की यह विशिष्ट प्रजातियां प्राकृतिक रूप से वहीं पाई जाती हैं। इन प्रजातियों में कैमूर के अंजन, रघिया और मंगुराहा के साइकस पक्टीनाटा व पायनस रॉक्सबरगाई पौधे शामिल हैं। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस है। यह इत्तेफाक है या सुखद संयोग कि इस बार पर्यावरण दिवस की थीम जैव विविधता ही है। बिहार सरकार जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में जल्द महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने जा रही है। वह अपनी जैव विविधता से जुड़ी विरासतों को सहेजेगी।

World Environment Day If these three trees Pinus Roxburghii Cycas ...

पाइनस रॉक्सबरगाई
इसका चर्चित नाम चीड़ का पेड़ है। इसकी औषधीय प्रयोग बहुत अधिक है। सूजन दूर करने वाले तमाम हर्बल उत्पादों के साथ ही दर्दनाशक दवाओं में भी इसका प्रयोग होता है। इसकी पहचान विलियम रॉक्सवर्ग के नाम पर है।

साइकस पेक्टीनाटा
यह साइकस की चौथी प्रजाति है जिसे स्कॉटलैंड के वनस्पति विज्ञानी फ्रांसिस बुचनन ने 1826 में परिभाषित किया था। यह विलुप्त होती प्रजाति देखने में सजावटी होने के साथ ही औषधीय दृष्टि से बेहद खास मानी जाती है।

ऐसे लगेगा जुर्माना
पेड़ों की तीन महत्वपूर्ण प्रजातियों के संरक्षण की योजना है। बिहार बायो डायवर्सिटी बोर्ड इस काम में जुटा है। इस प्रस्ताव को केंद्र ने हरी झंडी दे दी है। स्थानीय निकायों से सहमति लेकर राज्य सरकार इन्हें अधिसूचित कर देगी। फिर इनका व्यावसायिक प्रयोग करने वालों पर प्रतिदिन एक लाख तक दंड का प्रावधान है। पकड़े जाने के बाद जांच में जिस दिन से दुर्लभ पेड़ों के व्यावसायिक उपयोग की बात साबित होगी उस दिन से पकड़े जाने की तारीख तक प्रत्येक दिन एक लाख जुर्माना लगेगा।

पहली बार विरासत स्थल घोषित होंगे तीन स्थान 
पहली बार तीन स्थानों को विरासत स्थल घोषित करने की तैयारी हो रही है। दरअसल बायो डायवर्सिटी एक्ट-2002 के सेक्शन-37 में विलुप्त होती प्राकृतिक महत्व की चीजों को बचाने के लिए सरकार उन्हें जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में अधिसूचित कर सकती है। इसके लिए संबंधित निकाय से परामर्श लेना जरूरी है।

देश में 17 जैव विविधता विरासत स्थल हैं फिलहाल
असम का मजौली रिवर आइलैंड, गोवा का पुर्वातली राय, कर्नाटक में नल्लूर टर्र्मांरड ग्रोव्स, चिकमंगलूर का होग्रीकेन और बंगलूरू की यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज का चिह्नित हिस्सा शामिल है। इसके अलावा मध्य प्रदेश की नारो हिल्स, सतना और्र ंछदवाड़ा का पातालकोट, महाराष्ट्र का गढ़ चिरौली स्थित ग्लोरी ऑफ अल्लापल्ली, मनीपुर का दियालांग विलेज, मेघालय का ख्लौ कुर सायम कमीइंग, ओडीसा का मंडासारू, तेलंगाना का अमीनपुर लेक, लखनऊ के कुकरैल स्थित घड़ियाल पुर्नवास केंद्र, पश्चिम बंगाल के दार्र्जींलग के टोंग्लू और धोत्रे तथा झाड़ग्राम स्थित चिल्कीगढ़ के चिन्हित हिस्से जैव विविधता विरासत स्थलों में शामिल हैं।

Input : Hindustan

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