भारत, चीन के साथ व्यापारिक मोर्चे पर भी आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। सरकार ने इस बात को साफ कर दिया है चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों में भारत बराबरी का दर्जा चाहता है और अब भारत गैर-बराबरी वाली किसी भी बात को बर्दाश्त नहीं करेगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार की इस मंशा को साफ करते हुए बताया कि भारत के उन्हीं क्षेत्रों में चीनी कंपनियों को काम करने का मौका दिया जाएगा जिन क्षेत्रों में चीन अपने यहां भारतीय कंपनियों को मौका देगा। जिन क्षेत्रों में चीन अपने यहां भारतीय कंपनियों को मौका नहीं देगा, भारत के भी उन क्षेत्रों को चीनी कंपनियों के लिए बैन कर दिया जाएगा।

विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार चीन पर उन सभी क्षेत्रों के दरवाजे खोलने के लिए दबाव डाल सकती है जिन क्षेत्रों में अब तक भारतीय कंपनियों को चीन कोई मौका नहीं देता है। इनमें सबसे प्रमुख आइटी क्षेत्र है, जहां भारतीय कंपनियों को सप्लाई या सर्विस देने का कोई मौका नहीं दिया जाता है।

चीन के सरकारी विभागों में भी भारतीय कंपनियों को कारोबार का मौका नहीं मिलता है। फार्मा निर्यात के लिए भी चीन के दरवाजे अब तक भारत के लिए नहीं खुले हैं। व्यापारिक बराबरी के लिए सरकार चीन पर व्यापारिक घाटे को भी कम करने के लिए दबाव डाल सकती है।

भारत का चीन के साथ व्यापारिक घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में जनवरी-दिसंबर के बीच चीन से भारत ने 68.1 अरब डॉलर का आयात किया जबकि भारत ने इस अवधि में 16.34 अरब डॉलर का निर्यात किया। वर्ष 2018 में यह आयात बढ़कर 76.87 अरब डॉलर का हो गया। भारत ने इस दौरान 18.83 अरब डॉलर का निर्यात किया। वर्ष 2019 में जनवरी से नवंबर के दौरान चीन से भारत ने 68 अरब डॉलर का आयात किया जबकि भारत ने चीन को इस दौरान 16.32 अरब डॉलर का निर्यात किया।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक भारत चीन को कॉटन, जेम्स, डायमंड जैसे कई कच्चे माल का निर्यात करता है और चीन उनके फिनिश्ड गुड्स का आयात करता है। भारत, चीन से मशीनरी का काफी अधिक आयात करता है।

Input : Dainik Jagran

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