हर शनिवार शनिदेव की पूजा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। शनि को ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। यही ग्रह हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शनि अभी मकर राशि में स्थित है। इस वजह से धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती है। मिथुन और तुला राशि पर ढय्या रहेगा। ये ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनि की वजह से कुछ राशियों के लिए समय अशुभ रह सकता है। परेशानियों से बचने के लिए हर शनिवार शनि पूजा करनी चाहिए। शनि की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो सकारात्मक फल जल्दी मिल सकते हैं…

  • पं. शर्मा के अनुसार शनिदेव की पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग न करें, क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है। शनि और सूर्य एक-दूसरे के शत्रु माने गए हैं। शनि की पूजा में लोहे के बर्तनों का ही उपयोग करना चाहिए। लोहे का या मिट्टी का दीपक जलाएं, लोहे के बर्तन में भरकर शनि को तेल चढ़ाएं।
  •  ध्यान रखें पूजा में लाल कपड़े, लाल फल या लाल फूल शनिदेव को नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि लाल रंग की ये चीजें मंगल ग्रह से संबंधित हैं। ये ग्रह भी शनि का शत्रु है। शनिदेव की पूजा में काले या नीले रंग की चीजों का उपयोग करना शुभ रहता है। शनि को नीले फूल चढ़ाना चाहिए।
  • शनि को पश्चिम दिशा का स्वामी माना गया है, इस वजह से इनकी पूजा करते समय या शनि मंत्रों का जाप करते समय भक्त का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
  • पूजा करने वाले व्यक्ति को अस्वच्छ अवस्था में शनि की पूजा नहीं करनी चाहिए। ध्यान रखें साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। हर शनिवार शनि को काले तिल और काली उड़द चढ़ाएं।

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