मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार मद्य-निषेध अभियान के लिए पूरे देश में रोल मॉडल है। शराबबंदी का राजस्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में शराबबंदी लागू होना चाहिए। यह सामाजिक, धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है। वे रविवार को नई दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश के इस्कॉन सभागार में ‘शराब-मुक्त भारत‘ पर राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि देश के विभिन्न भागों से आए लोगों को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन मिलित ओडिसा निशा निवारण अभियान (मोना) द्वारा किया गया था।

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नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी अभियान के बारे में विस्तार से बातें रखीं। कहा कि शराबबंदी से सबसे अधिक गरीब-गुरबों को फायदा हुआ है और पूरे बिहार में शांति का माहौल कायम है। देशी-विदेशी पर्यटक लगातार बढ़ रहे हैं। इसपर कोई असर नहीं हुआ है। सरकार के 5000 करोड़ के राजस्व हानि की पूर्ति लोगों द्वारा शराब से बचे करीब 10,000 करोड़ रुपए से दूसरी सेवाओं की मिल रही है। कुछ गिने चुने लोग शराब पीने को अपने मौलिक अधिकारों से जोड़ते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि शराब पीना एवं शराब का व्यवसाय कोई मौलिक अधिकार नहीं है। कहा कि बिहार राज्य में लागू शराबबंदी नीति का अध्ययन करने हेतु विभिन्न राज्यों से प्रतिनिधि आये। वर्ष 2017 में कर्नाटक से, वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ से तथा दिसंबर 2019 में राजस्थान से अध्ययन दल आये और शराबबंदी के क्रियान्वयन को जमीनी स्तर पर देखा। देश के कोने-कोने से शराबबंदी की आवाज उठने लगी है इसलिए शराब के धंधे में लगे लोग परेशान हैं कि कहीं बिहार जैसी शराबबंदी पूरे देश में लागू न हो जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शराबबंदी के सफल क्रियान्वयन के लिए न सिर्फ शराब पर पाबंदी लगाई, बल्कि लोगों की नशे की लत को छुड़ाने का इंतजाम किया गया। नशे के आदी लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सभी जिलों में नशामुक्ति केन्द्र खोले गए। इन केन्द्रों में प्रशिक्षित चिकित्सक, नर्स एवं सलाहकार भी पदस्थापित किए। शराबबंदी अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया तथा लोगों का भी इसे पूर्ण समर्थन मिला। शराबबंदी और नशामुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी, 2017 को मानव श्रृंखला बनी, जिसमें 3.5 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लेकर दुनिया के लिए नया रिकॉर्ड बनाया। पूरे विश्व में शराबबंदी एवं नशामुक्ति के पक्ष में सशक्त संदेश दिया।

शराब के दुषप्रभाव से पूरा विश्व चिंतित

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के दुष्प्रभाव को लेकर पूरा विश्व चिंतित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिपोर्ट (ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन अल्कोहल एण्ड हेल्थ 2018) में शराब के दुष्परिणामों के विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं और मानव समाज को शराब के कुप्रभाव से निजात दिलाने के लिए एक अभियान चलाने पर बल दिया गया है। वर्ष 2016 में शराब से विश्वभर में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई जो कुल मृत्यु का 5.3 प्रतिशत है। शराब के सेवन से युवाओं में मृत्यु दर बूढ़े लोगों की अपेक्षा काफी अधिक है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत लोगों की मृत्यु शराब के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार शराब लगभग 200 बीमारियों को बढ़ाता है।

हम पर्यावरण संरक्षण पर भी दे रहे जोर

नीतीश कुमार ने कहा कि इन दिनों जलवायु परिवर्तन सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरा है, इसलिए हम पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर दे रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा 26 अक्टूबर, 2019 से जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत 24524 करोड़ रुपये की योजनाओं का मिशन मोड में क्रियान्वयन किया जा रहा है। जल-जीवन-हरियाली जागरूकता अभियान के अंतर्गत 19 जनवरी, 2020 को राज्य में 18 हजार किलोमीटर से अधिक लम्बी मानव श्रृंखला बनी जिसमें 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने भाग लेकर पर्यावरण के संरक्षण और नशा-मुक्ति के समर्थन में एवं बाल विवाह और दहेज प्रथा मिटाने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।

शराबबंदी अभियान को नेतृत्व देने की अपील

कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने कहा कि नीतीश कुमार ने सम्पूर्ण बिहार में पूर्ण शराबबंदी कर असम्भव को सम्भव कर दिया है। उन्होंने ऐसा कर एक अलग छाप छोड़ी है। पूरे देश में शराबबंदी आवश्यक है। वक्ताओं ने नीतीश कुमार से अपने-अपने राज्यों में आकर शराबबंदी अभियान को नेतृत्व प्रदान करने की अपील की। नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि शराब मुक्त भारत एवं शराब से मुक्ति के लिए किये जा रहे सभी प्रयासों में उनका पूरा साथ रहेगा।

Input : Live Hindustan

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