गाजियाबाद : कुछ दिन पहले नेहरू नगर की एक महिला की कोरोना से मौत हो गई थी। महिला की मौत होते ही उसके परिवार के लोग और करीबी गायब हो गए। नोडल अधिकारी जब गाइडलाइन के तहत महिला का अंतिम संस्कार करवाने लगे तो परिवार के एक सदस्य का उनके पास फोन आया कि मृतका के हाथ में सोने की एक अंगूठी है, कृपया उसे निकालकर भिजवा दें। नोडल अधिकारी ने कहा कि जिसे जरूरत हो वो आकर निकाल लें। कोई नहीं आया। अंगूठी के साथ उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। बाद में एक विधायक के प्रतिनिधि का फोन जरूर अंगूठी की सिफारिश के लिए सीएमओ के पास पहुंच गया। कोरोना से गाजियाबाद में 19 लोगों की मौत हुई है। ज्यादातर मामलों में एक ही कहानी है। जैसे ही कोरोना मरीज की मौत की खबर आती है घर वाले और करीबी गायब हो जाते हैं। कई का मोबाइल नंबर स्विच आफ हो जाता है।

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पिछले महीने एक पचास साल के व्यक्ति की मौत के बाद शव को हाथ लगाने के लिए कोई नहीं आया, लेकिन एपल के फोन के लिए अफसरों के पास खूब फोन आते रहें। खैर अफसरों ने एपल का फोन संबंधित स्वजनों को भिजवा दिया, लेकिन अंतिम संस्कार में न पहुंचने पर अफसरों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। पिलखुवा के एक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करने के नाम पर उनके बेटे गायब हो गए। खोड़ा के एक व्यक्ति की मौत की सूचना मिलते ही सगे भाई ने फोन बंद कर लिया। विजयनगर के एक बुजुर्ग कोरोना मरीज को भर्ती कराने के लिए उसके घर वाले विधायक और मंत्रियों की सिफारिशें लगवा रहे थे। जैसे ही बुजुर्ग की मौत हुई सभी करीबी लोग वहां खिसक गए। इनमें बेटे, बहू, चाचा, ताऊ, बहन और नजदीकी दोस्त भी शामिल हैं।
कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार के लिए नामित नोडल अधिकारी डॉ. मिथलेश कुमार सिंह ने बताया कि अधिकांश स्वजन पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही गायब हो जाते हैं। मौत की सूचना पर तो कई मामलों में पति और पत्नी तक श्मशान तो दूर अस्पताल तक में नहीं पहुंचे, अगर वे क्वारंटाइन में भी है तो अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति है। कोरोना को लेकर नकारात्मक सूचनाओें का प्रवाह लोगों के जहन में इस कदर उतरता जा रहा है कि उनकी भावनाएं मर रही हैं। पचास साल के संबंध, खूनी रिश्ते और दोस्ती को एक ही क्षण में तोड़कर लोग खुद की सुरक्षा के बारे में पहले सोच रहे हैं। यह मानवीय रिश्तों के लिए बड़ा खतरा है। कोई मार्गदर्शन करने वाला भी नहीं हैं। मौत तो दूर पॉजिटिव आने पर ही लोग संबंधित की मदद तक के नाम पर पीछे हट रहे हैं, जबकि डॉक्टर पीपीई किट पहनकर लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। इसको देखकर भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं।
सावधानी बरतते हुए अपनों के अंतिम संस्कारों में शामिल होना चाहिए
– डॉ. संजीव कुमार त्यागी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक कोरोना काल में समाज में नैतिक पतन लगातार बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। लोगों में अपने रिश्ते के प्रति भी संवेदनहीनता आती जा रही है। बस यह सब मामले इसी का उदाहरण है। इसमें भी कोई शक नहीं कि जहां महंगी चीज और रुपयों की बात हो तो इंसान स्वार्थी हो जाता है। कोरोना से बचाव के लिए जो शारीरिक दूरी बनाई जा रही है ये भी अभी के लिए नहीं हमेशा के लिए हो जाएगी। भले ही कोरोना चला जाए, लेकिन एक दूसरे से बचने का ट्रेंड जल्दी ही स्थाई हो जाएगा।
Input : Dainik Jagran