सात दिनों से मोहल्ला पानी में डूबा हुआ है। पूरा परिवार घर में कैद है। गंदे पानी से बीमारी की खतरा अलग से बना हुआ है। इससे निजात दिलाने के लिए नेता से लेकर अधिकारी तक से गुहार लगा चुके हैं पर किसी ने भी नहीं चुनी। अब कहां जाएं, किससे सुनाएं अपनी व्यथा समझ में नहीं आ रहा।
यह कहना है वार्ड 34 के तिवारी टोला निवासी राजेंद्र साह का। यह सिर्फ उनकी पीड़ा नहीं बल्कि शहर के एक दर्जन मोहल्ले में रहने वाले उन हजारों परिवारों की है जो पिछले एक सप्ताह से जलजमाव के बीच रह रहे हैं। नगर निगम के तमाम दावों के बावजूद उनको इससे राहत नहीं मिल रही। जलजमाव शहर के लिए नासूर बन गया है। शहरवासी दोहरी मार झेल रहे। एक तरफ जलजमाव के बीच रहने की मजबूरी तो दूसरी ओर महामारी के शिकार होने का खतरा। बालूघाट निवासी जयराम राय का कहना है कि उनके घर में कमर भर पानी लगा है।
न कोई घर से निकल सकता है और न ही कोई आ सकता है। पानी के बीच पीने के पानी की किल्लत हो गई है। शौचालय डूबा हुआ है। नारकीय हालत में जी रहे है। मिठनपुरा निवासी संजय कुमार कहते है कि नेता एवं निगम के अधिकारी सिर्फ बड़ी-बड़ी बात करते हैं।
जलजमाव के शिकार मोहल्ले :
क्लब रोड, मिठनपुरा, चर्च रोड, चैपमैन स्कूल रोड, बेला, रज्जू साह लेन, मिस्काट, न्यू कॉलोनी बालूघाट, जंगली माई स्थान रोड, बीबी गंज, सिकंदरपर प्रभात जर्दा फैक्ट्री रोड, आनंदपुरी, ब्रहृापुरा रेलवे कॉलोनी, सादपुर तिवारी टोला, पराव पोखर लेन, लीची बागान रेलवे कॉलोनी, पंकज मार्केट रोड, गोला बांध रोड, पान कल चौक, अमरूद बगान, राजेंद्र कॉलोनी आदि जलजमाव की चपेट में हैं।
इन परेशानियों का करना पड़ रहा सामना :
– आवागमन हो रहा बाधित।
– घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे लोग।
– दूध, अखबार, सब्जी बेचने वालों ने सेवा देने से किया इन्कार।
– स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव।
– पीने के पानी की हो रही किल्लत।
– बीमार होने पर अस्पताल ले जाने में परेशानी।
– महामारी फैलने का सता रहा भय।
– मच्छरों का बढ़ा प्रकोप।
Input : Dainik Jagran