बिहार में जहानाबाद के रहने वाले लवकुश शर्मा का नाम तक टी.आर.पी मीडिया ने लोगो को ठीक से नहीं बताया.. सोचिये एक सिपाही अपने पीछे 9 साल का बेटा और 3 साल की बेटी को छोड़ कर इसी मिट्टी के लिये शहीद हो गया.. उसके बूढ़े बाप की आँखे पथरीली हो गयी है.. बीवी चीत्कार रही है..मुझे कुछ नहीं चाहिए बस मेरा पति लौटा दो.. जम्मू-कश्मीर के बारामूला में सोमवार को हुए आतंकी हमले में दो जवान शहीद हो गए. इन शहीदों में जहानाबाद के रतनी फरीदपुर प्रखंड के अइरा गांव निवासी लवकुश शर्मा भी शामिल हैं. उनके शहादत की खबर से घर में कोहराम मच हुआ है. मीडिया पर टी.आर.पी का भूत सवार है, वतन के सच्चे सपूत की खबर तक सुपरफास्ट में चल रही है.. बाकी सारे ग़ैर ज़रूरी बात प्राइम टाइम शो का हिस्सा है… खैर इतना याद रहे – वतन के लिये मरने वाला एक साथी और भी था…

बता दें कि शहीद जवान लवकुश ने 2014 में सीआरपीएफ की 119 वीं बटालियन जॉइन की थी. पिछले साल वो 25 दिसम्बर को छुट्टी में घर आए थे और जनवरी में छुट्टी बिता कर वापस बारामूला लौटे थे.

मिली जानकारी अनुसार आखरी बार उनकी पत्नी अनिता और पिता सुदर्शन शर्मा से उनकी बात हुई थी. शहीद के पिता ने बताया कि धारा 370 हटने के बाद वह करीब एक साल से बारामूला में तैनात था और उससे पहले आसाम में ड्यूटी थी. नम आंखों से पिता ने कहा कि हाल ही में चाचा के निधन पर वह घर नहीं आ पाया था, लेकिन जल्द फिर छुट्टी में आने की बात कही थी.

Image

बता दें कि पिता की शहादत का खबर सुनकर 9 वार्षिय सूरज और 3 वर्षीय अनन्या कुमारी स्तब्ध हैं. वहीं पत्नी अनिता का रो-रोकर बुरा हाल है. पिता सुदर्शन शर्मा को तो मानो काठ मार गया है. इधर पूरा गांव शहीद के शहादत पर गर्व कर रहा है.

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...