नई दिल्ली. प्रवासी मजदूरों (Migrant Labors) के लिए जारी किये गये श्रमिक ट्रेनों के नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (standard operating procedures-SOP) के मुताबिक, अब इन ट्रेनों के लिए राज्यों की सहमति वाली धारा को हटा दिया गया है. विभिन्न राज्यो में फंसे दूसरे राज्यों के मजदूरों की आवाजाही को लेकर जारी की गई नई एसओपी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, ‘श्रमिक ट्रेनों (shramik trains) की आवाजाही की अनुमति गृह मंत्रालय से बातचीत के आधार पर रेल मंत्रालय देगा.’

श्रमिक ट्रेनों के लिए अब जरूरी नहीं होगी राज्यों की सहमति, गृह मंत्रालय ने जारी किए नए निर्देश

रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) की ओर से 2 मई को जारी सूचना, जिसमें कहा गया था कि श्रमिक ट्रेनें (Shramik Trains) चलाये जाने के लिए संबंधित राज्यों की सहमति मांगी जाएगी, यह कदम उस सूचना से उलटा है. पहले SOP में कहा गया था, ‘यदि फंसे हुए व्यक्तियों का एक समूह एक राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश से दूसरे राज्य के जाना चाहता है, तो जो राज्य उन्हें भेज रहा है और जहां वे जा रहे हैं, दोनों एक-दूसरे से परामर्श कर सकते हैं और रेल के जरिए यातायात के लिए सहमत हो सकते हैं.”

पहले उन राज्यों की सहमति भी जरूरी थी, जहां जा रहे प्रवासी

इसमें कहा गया था, ‘जिस राज्य में वे (प्रवासी मजदूर) जा रहे हैं, उनकी सहमति, जो राज्य भेज रहा है, उसे लेनी चाहिए और ट्रेन से रवाना होने से पहले रेलवे को इसकी एक प्रति देनी होगी.”

अब गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की ओर से मंगलवार को जारी नई अधिसूचना में सहमति के किसी भी संदर्भ को हटा दिया गया है और कहा गया है कि नोडल अधिकारी फंसे हुए मजदूरों को रिसीव करने और भेजने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेंगे. साथ ही यह भी कहा गया कि रेलवे स्टॉपेज और लक्ष्य स्टेशन सहित ट्रेन शेड्यूल को अंतिम रूप देगा.

ममता बनर्जी सरकार ने लौटने वाले मजदूरों के लिे नहीं थी सहमति

रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि प्रवासी जिस राज्य में जा रहे हैं उसकी सहमति की अब आवश्यकता नहीं है. वह राज्य जहां से विशेष ट्रेनें चलेंगी, रेलवे को यात्रियों की सूची देगा.

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखा था कि राज्य में लौटने के इच्छुक प्रवासी फंसे हुए हैं क्योंकि ममता बनर्जी की सरकार ने प्रवासियों की वापसी के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी.

हालांकि गृह मंत्रालय ने एक अलग बयान में मंगलवार को कहा कि राज्यों और रेलवे के बीच सक्रिय समन्वय प्रवासी श्रमिकों के सुचारू परिवहन के लिए और अधिक ट्रेनें चलाने के लिए आवश्यक है. यह भी कहा कि जिला अधिकारियों को रेलवे को अपनी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी देनी चाहिए. किसी भी अफवाह को दूर करने के लिए ट्रेन अनुसूची, ठहराव समय और अन्य विवरण का अधिकतम प्रचार करने के लिए कहा गया.

Input : News18

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