शुक्रवार, 23 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। इस दिन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है, इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। उज्जैन के भागवत कथाकार पं. मनीष शर्मा के अनुसार श्रीकृष्ण की 16108 रानियां बताई गई हैं। इनमें से 8 प्रमुख थीं, जिन्हें पटरानियां कहा जाता है। रुक्मिणी, जांबवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रविंदा, सत्या (नाग्नजिती), भद्रा और लक्ष्मणा श्रीकृष्ण की पटरानियां हैं। जानिए इन 8 पटरानियों से जुड़ी खास बातें
रुक्मिणी
विदर्भ राज्य का भीष्म नामक एक वीर राजा था। उसकी पुत्री का नाम रुक्मिणी था। वह बहुत ही सुंदर और सभी गुणों वाली थी। नारदजी द्वारा श्रीकृष्ण के गुणों का वर्णन सुनने पर रुक्मिणी श्रीकृष्ण से ही विवाह करना चाहती थी। रुक्मिणी के रूप और गुणों की चर्चा सुनकर भगवान कृष्ण ने भी रुक्मिणी के साथ विवाह करने का निश्चय किया था। रुक्मिणी का एक भाई था, जिसका नाम रुक्मि था। उसने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से साथ तय कर दिया था। जब ये बात श्रीकृष्ण को मालूम हुई तो वे विवाह से एक दिन पहले ही रुक्मिणी का हरण कर द्वारका ले गए। द्वारका पहुंचने के बाद श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह किया गया।
जाम्बवती
जब श्रीकृष्ण स्यमंतक मणि की खोज में गुफा में पहुंचे। गुफा में जाम्बवंत और उसकी पुत्री जाम्बवती रहती थी। गुफा में मणि के लिए श्रीकृष्ण और जाम्बवंत के बीच युद्ध हुआ। युद्ध में पराजित होने के बाद जाम्बवंत को श्रीकृष्ण के स्वयं विष्णु अवतार होने की बात मालूम हुई। श्रीकृष्ण का असली स्वरूप जानने के बाद जाम्बवंत ने उनसे क्षमा मांगी और अपनी पुत्री जाम्बवती का विवाह श्रीकृष्ण के साथ कर दिया।
सत्या (नग्नजिती)
कौशल राज्य के राजा नग्नजित की एक पुत्री नग्नजिती थी। नग्नजिती को सत्या के नाम से भी जाना जाता है।वह बहुत सुंदर और सभी गुणों वाली थी। अपनी पुत्री के लिए योग्य वर पाने के लिए नग्नजित ने शर्त रखी। शर्त यह थी कि जो भी क्षत्रिय वीर सात बैलों को हरा देगा, उसी के साथ नग्नजिती का विवाह किया जाएगा। एक दिन भगवान कृष्ण को देख नग्नजिती उन पर मोहित हो गई और मन ही मन श्रीकृष्ण से ही विवाह करने का प्रण ले लिया। कृष्ण ये बात जान चुके थे। अपनी भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए कृष्ण ने सातों बैल को अपने वश में करके उन पर विजय प्राप्त की। भगवान का यह पराक्रम देखकर नग्नजित ने अपनी पुत्री का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के साथ किया।
कालिन्दी
एक बार भगवान कृष्ण अपने प्रिय अर्जुन के साथ वन में घूम रहे थे। यात्रा की धकान दूर करने के लिए वे दोनों यमुना नदीं के किनार जाकर बैठ गए। वहां पर श्रीकृष्ण और अर्जुन को एक युवती तपस्या करती हुई दिखाई दी। उस युवती को देखकर अर्जुन ने उसका परिचय पूछा। अर्जुन द्वारा ऐसा पूछने पर उस युवती ने अपना नाम सूर्यपुत्री कालिन्दी बताया। वह यमुना नदी में निवास करते हुए भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। यह बात जान कर भगवान कृष्ण ने कालिन्दी को अपने भगवान विष्णु के अवतार होने की बात बताई और उसे अपने साथ द्वारका ले गए। द्वारका पहुंचने पर भगवान कृष्ण और कालिन्दी का विवाह किया गया।
लक्ष्मणा
लक्ष्मणा ने देवर्षि नारद से भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में कई बातों सुनी थी। उसका मन सदैव भगवान के स्मरण और भक्ति में लगा रहता था। लक्ष्मणा भगवान विष्णु को ही अपने पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। उसके पिता यह बात जानते थे। अपनी पुत्री की इच्छा पूरी करने के लिए उसके पिता ने स्वयंवर का एक ऐसा आयोजन किया, जिसमें लक्ष्य भेद भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के सिवा कोई दूसरा न कर सके। लक्ष्मणा के पिता ने अपनी पुत्री के विवाह उसी वीर से करने का निश्चय किया, जो की पानी में मछली की परछाई देखकर मछली पर निशाना लगा सके। शिशुपाल, कर्ण, दुर्योधन, अर्जुन कोई भी इस लक्ष्य का भेद न कर सका। तब भगवान कृष्ण ने केवल परछाई देखकर मछली पर निशाना लगाकर स्वयंवर में विजयी हुए और लक्ष्मणा के साथ विवाह किया।
मित्रविंदा
अवंतिका (वर्तमा उज्जैन) की राजकुमारी मित्रविंदा के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया गया। उस स्वयंवर में भगवान श्रीकृष्ण भी पहुंचे। मित्रविंदा श्रीकृष्ण के साथ ही विवाह करना चाहती था, लेकिन उसका भाई विंद दुर्योधन का मित्र था। इसलिए उसने अपनी बहन को कृष्ण को चुनने से रोक दिया। जब भगवान को मित्रविंदा के मन की बात मालूम हुई तो श्रीकृष्ण ने मित्रविंदा का हरण कर लिया और उसके साथ विवाह किया।
भद्रा
श्रीकृष्ण की श्रुतकीर्ति नाम की एक भुआ कैकय देश में रहती थी। उनकी एक भद्रा नामक कन्या थी। भद्रा और उसके भाई श्रीकृष्ण के गुणों को जानते थे। इसलिए भद्रा के भाइयों ने उसका विवाह कृष्ण के साथ करने का निर्णय किया। अपनी भुआ और भाइयों के इच्छा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण ने पूरे विधि-विधान के साथ भद्रा के साथ विवाह किया।