नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ एक महीने से जारी विपक्ष की मोर्चाबंदी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने धारदार तर्को, तंजों और तथ्यों से धराशायी कर दिया। मोदी ने आक्रामक व चुटीले अंदाज में कहा कि संसद और विधानसभाओं के फैसलों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन से अराजकता बढ़ती है। इससे हर किसी को चिंतित होना चाहिए। उन्होंने सीएए से लेकर कश्मीर तक के मुद्दे को सदन में इस तरह रखा कि कांग्रेस के हाथ-पांव सुन्न हो गए और बोल ही बदल गए। पीएम ने कहा, जिन्हें जनता ने नकार दिया है वे भ्रम फैलाकर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।
राष्ट्रपति के अभिभाषण की चर्चा के बाद गुरुवार को दोनों सदनों में प्रस्ताव मंजूर हो गया। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में करीब डेढ़ घंटे और राज्यसभा में एक घंटे से अधिक लंबा जवाब दिया। मोदी ने कहा कि लोग ऐसे ही कानूनों का विरोध करेंगे तो अराजकता फैलेगी। उन्होंने सीएए और एनपीआर के विरोध के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि लोगों को गुमराह करने की कोशिश न करें। इन प्रदर्शनों की आड़ में अलोकतांत्रिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। इससे किसी को राजनीतिक लाभ नहीं होगा। पीएम ने सवाल किया कि अगर राजस्थान विधानसभा में लिए गए फैसले को लोग मानने से इन्कार कर दें तो क्या होगा? मध्य प्रदेश में यही हो तो क्या होगा? गौरतलब है कि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। उन्होंने कहा, केरल के सीएम विजयन विरोध प्रदर्शनों में अराजकता पर चिंता जताते हैं और दिल्ली में इसे समर्थन दिया जाता है, यह दोहरा आचरण क्यों? मोदी ने कश्मीर, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों पर सरकार के रुख को स्पष्ट करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खासतौर पर निशाने पर लिया। उन्होंने कश्मीर को भारत को मुकुटमणि बताया।
अगर मेरी सरकार पुराने तरीकों से चलती तो राम जन्मभूमि मुद्दा नहीं सुलझता। करतारपुर कॉरिडोर असलियत नहीं होता और अनुच्छेद 370 कभी इतिहास नहीं बनता।
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
दुष्प्रचार पर प्रहार संपादकीय
- मोदी ने कहा-नेहरू, शास्त्री लोहिया ने भी दिए थे पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यकों के समर्थन में बयान
- पीएम ने लोकसभा में 90 मिनट और राज्यसभा में करीब एक घंटे तक विपक्ष पर किए लगातार हमले
नेपाल, श्रीलंका के लोगों को भी दें नागरिकता : कांग्रेस
पीएम के जवाब के बाद सीएए से मुस्लिमों को बाहर रखे जाने का विरोध करती रही कांग्रेस ने अपना सुर बदल लिया। कांग्रेस ने कहा कि उनका विरोध केवल इसलिए था कि इसमें नेपाल व श्रीलंका जैसे देशों को शामिल नहीं किया गया। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सदन के अंदर यह बात पूरे विपक्ष की ओर से कही और फिर विपक्ष राष्ट्रपति को धन्यवाद ज्ञापन करने के लिए प्रस्ताव पारित करने से पहले ही बाहर चला गया। ऐसे में सीएए को मुस्लिम विरोधी बताने का विपक्ष का आरोप ध्वस्त हो गया है। अब विपक्ष को नया रास्ता तलाशना होगा। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के इतिहास के पन्नों को खोलना शुरू किया तो कांग्रेस नेताओं की जीभ चिपक गई। दोनों सदनों में चर्चा का जवाब देने आए प्रधानमंत्री मोदी ने जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया, कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्तावों का तथ्य सामने रख दिया जिसका निचोड़ यही था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हंिदूुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें भारत में नागरिकता देना नैतिक कर्तव्य है। लोकसभा में प्रधानमंत्री ने 1950 के नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें भारत पाकिस्तान के माइनॉरिटी की सुरक्षा की बात की गई थी। मोदी ने पूछा-‘कुछ तो कारण रहा होगा कि नेहरू माइनॉरिटी शब्द पर मान गए। उन्होंने सभी नागरिकों की बात क्यों नहीं की? क्या वे सांप्रदायिक थे?’
शास्त्री व लोहिया की याद दिलाई
राज्यसभा में मोदी ने 1964 में दिए गए शास्त्री के बयान उद्धृत किए जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में हंिदूुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर चिंता जताई थी और कहा था कि ऐसा लगता है कि इस्लामिक देश बांग्लादेश से सभी अल्पसंख्यकों को बाहर कर दिया जाएगा। मोदी ने समाजवादी नेताओं को भी याद दिलाया कि वह लोहिया के बयान का तो आदर करें। 25 नवंबर 1947 के कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया था,‘हम पाकिस्तान से आने वाले सभी गैर मुसलमानों को देश में सुरक्षा देंगे।कांग्रेस नेताओं से सवाल किया कि उस वक्त कांग्रेस ने बाहर से आने वाले नागरिकों के बजाय सिर्फ नॉन मुस्लिम की बात क्यों नहीं की?
एनपीआर के विरोध पर घेरा
प्रधानमंत्री ने एनपीआर पर विपक्ष के विरोध और शाहीन बाग के प्रदर्शन पर विपक्ष के समर्थन को भी सवालों में घेरा। केरल के मुख्यमंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर वहां हो रहे प्रदर्शन में मुख्यमंत्री अराजकता देख रहे हैं तो दिल्ली में प्रदर्शन का समर्थन क्या दोहरा चरित्र नहीं है? 2010 में कांग्रेस काल में ही एनपीआर की शुरुआत हुई थी और अब उसका भी विरोध किया जा रहा है। कहा कि उनके पास कांग्रेस काल के एनपीआर की पूरी रूपरेखा है। पूरा डाटा है और उस आधार पर ही सभी को लाभ दिया गया। बल्कि उसे अपडेट किया जा रहा है ताकि सभी को लाभ मिले। लेकिन केवल विरोध के लिए ऐसे काम का विरोध देश के लिए ठीक नहीं है।
Input : Dainik Jagran