पटना. बिहार के सभी ने पुराने जमीन के सभी लेखा- जोखा अब ऑनलाइन होने जा रहा है. जिसके लिए बिहार सरकार एक पोर्टल भी बनाने जा रही है. यदि ये व्यवस्था हो जाती है तो जालसाजी करने वालों की मुसीबतें तो बढ़ेंगी ही साथ ही सरकारी या निजी जमीन पर कब्जा भी कठिन हो जाएगा. वहीं इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद से सरकारी जमीन की बार बार पैमाइश कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सकत ही पुराने रिकार्ड्स को भी सम्भाल के रखा जा सकेगा.

सभी जमीनी कागजों के ऑनलाइन हो जाने से फिर उसमें किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं किया जा सकेगा. वहीं सभी रिकॉर्ड को ऑनलाइन करने से पहले उन्हें कार्यवाहक लिपिक, प्रधान लिपिक, तथा, अंचलाधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा. साथ ही सभी रिकॉर्ड को हर साल संधारित सॉफ्ट कॉपी को हार्ड डिस्क में भी रखा जाएगा. सरकार ने इसपर काम करते हुए राज्य में 534 अंचलों में आधुनिक अभिलेखागार बनाए जा रहे है. जिसमे से 436 अंचलों में अभिलेखागार तैयर भी हो चुके है. इसके साथ ही 163 अंचलों को डाटा सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए चुना गया है.

सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिस्टम में सरकारी और निजी जमीनों के सभी रेकॉर्ड रखे जाएंगे. जिनमे ये रिकार्ड्स शामिल रहेंगे- कैडिस्ट्रल सर्वे खतियान, रिवीजन सर्वे खतियान, चकबन्दी खतियान, नामांतरण पंजी एवं अभिलेख, भूमि बंदोबस्ती पंजी, राज्य सरकार द्वारा निर्गत पत्रों, परिपत्रों, संकल्प, अधिसूचना की रक्षी संचिका के साथ भू-सम्पदा पंजी, भू-दान, वाद का पंजी एवं अभिलेख आदि की भूमि से सम्बंधित पंजीकरण कर ऑनलाइन रेकॉर्ड रखा जाएगा.

Source : Hindustan

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