चमकी बुखार (एईएस) का प्रकोप झेल रहे उत्तर बिहार में बहुतेरे पीड़ित बच्चों के माता-पिता रोजाना सवा सौ रुपये या इससे भी कम कमाते हैं। ऐसे परिवारों की माली हालत काफी खराब है।

मुख्यमंत्री के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराये गये सोशियो इकोनॉमिक सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। एईएस पीड़ित 519 में से 289 परिवारों का सोशियो इकोनॉमिक सर्वे पूरा हो गया है। कम्युनिटी कॉर्डिनेटर, जीविका सदस्य, कृषि समन्वयक व मनरेगा सलाहकार से विभाग ने यह सर्वे कराया है।

सर्वे के प्रारंभिक नतीजे हैरान करने वाले हैं। रिपोर्ट के अनुसार,पीड़ित बच्चों के परिवारों की दशा और आय के स्रोत को जब खंगाला गया तो 280 परिवार मजदूर वर्ग के मिले।

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सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि सरकार के निर्देश पर पीड़ित परिवारों का सोशियो इकोनॉमिक सर्वे हो रहा है। कुछ नतीजे सामने आये हैं। पूरा सर्वे होने में समय लगेगा। इसके बाद इसे सरकार को भेजा जाएगा।


उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर समेत आसपास के जिलों में एईएस (चमकी-बुखार) से सात बच्चों की मौत हो गई। एसकेएमसीएच में शनिवार को दो बच्चे और शुक्रवार की देर रात दो बच्चों की जान चली गई। मीनापुर अस्पताल में भी एक बच्चे ने दम तोड़ दिया। वहीं, दो अन्य बच्चों की मौत पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर व मधुबन प्रखंड में हुई। वहीं बेगूसराय में भी एक बच्ची की मौत हो गयी। इस तरह एईएस से अबतक 172 बच्चों की जानें जा चुकी हैं।

शनिवार को एसकेएमसीएच, केजरीवाल व मीनापुर अस्पताल में एईएस के 16 बच्चे भर्ती हुए। इनमें 12 को एसकेएमसीएच, दो को केजरीवाल अस्पताल व दो को मीनापुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस तरह अब तक एईएस के 519 मामले सामने आ चुके हैं।

Input : Live Hindustan

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