सावन के महीने में सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। सावन सोमवार में विशेष रूप भगवान शिव का जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर शिव आराधना करते हैं। विवाहित और अविवाहित महिलाएं दोनो ही सोमवार का व्रत और भगवान शिव की पूजा करती है। इस सावन सोमवार के बाद श्रावण महीने का पांचवां और अंतिम सोमवार 3 अगस्त पूर्णिमा के दिन है।
शिवलिंग पूजा से मिलता है सुख-सौभाग्य
शिवलिंग का पूजन-अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं के अभिषेक का फल उसी क्षण प्राप्त हो जाता है।श्रीलिंग पुराण के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा,मध्य में तीनों लोकों के ईश्वर श्रीविष्णु तथा ऊपरी भाग में प्रणवसंज्ञक महादेव रूद्र सदाशिव विराजमान रहते हैं।लिंग की वेदी महादेवी अम्बिका हैं,वे (सत,रज,तम) तीनों गुणों से तथा त्रिदेवों युक्त रहती हैं।
जो प्राणी उस वेदी के साथ लिंग की पूजा करता है वह शिव-पार्वती की कृपा सहजता से प्राप्त कर लेता है।शिवलिंग पर जल से अभिषेक करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि,दूध से उत्तम संतान की प्राप्ति,गन्ने के रस से यश,मनोनुकूल पति/पत्नी की प्राप्ति,शहद से कर्ज मुक्ति,कुश के जल से रोग मुक्ति,पंचामृत से अष्टलक्ष्मी व तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है।इसी प्रकार तरह-तरह के सभी शिवलिंगों की पूजा सुख-सौभाग्य एवं सिद्धि प्रदान करने वाली होती है।
इन शिव मंत्रों के जाप से पाए भगवान शिव का आशीर्वाद
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
शिवलिंग पर भांग, धतूर बेलपत्र, पंचामृत, आदि चढाने एवं सर्पों को दूध पिलाने से जातकों की जन्मकुंडलीयों में मारकेश ग्रहदशा, ग्रहण, पितृ एवं कालसर्प-दोष से ग्रसित पापदोषों से मुक्ति मिलती है, और साधक के वंश का विस्तार होता है। शिव जी का प्रसिद्द स्तवन मंत्र ‘काल हरो हर, कष्ट हरो हर, दुःख हरो दारिद्र्य हरो ! नमामि शंकर, भजामि शंकर, शंकर शंभो तव शरणम्, का भजन जीवन के सारे दुःख दूर करके खुशहाली लाएगा।