मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंधिया गृह मंत्री अमित शाह के साथ मोदी से मिलने पहुंचे। कुछ देर में सिंधिया के भाजपा मुख्यालय जाने की भी खबरें हैं। सिंधिया दिल्ली में ही हैं। आज माधवराव सिंधिया की 75वीं जयंती है। माना जा रहा है कि इस मौके पर ज्योतिरादित्य कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
सिंधिया के मोदी से मिलने की खबरों के बाद भोपाल में मुख्यमंत्री आवास पर भी हलचल बढ़ गई है। बाला बच्चन, हुकुम सिंह कराड़ा, सज्जन सिंह वर्मा समेत कई मंत्री मिलने पहुंचे।
सिंधिया का पार्टी में स्वागत: नरोत्तम
कांग्रेस नेता और मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पार्टी के नेताओं से हमारी बातचीत चल रही है। हमारी सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार स्थिर है और पांच साल का कार्यकाल पूरी करेगी।
वहीं, भाजपा के नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हम ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी में शामिल होने पर स्वागत करते हैं। वे जमीन से जुड़े बड़े नेता हैं। शायराना अंदाज में उन्होंने कहा कि दुश्मनों के तीर खाकर दोस्तों के शहर में, उनको किस-किस ने मारा, ये कहानी फिर कभी।
भाजपा के पास ये विकल्प
1. सिंधिया ये घोषणा करें कि वे कांग्रेस के साथ नहीं हैं। मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के लिए संसदीय समिति की बैठक है, उसमें सिंधिया को टिकट का फैसला हो।
2. भाजपा सदन की बैठक बुलाकर पहले अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। हालांकि इसकी प्रक्रिया बहुत लंबी है, जो भाजपा के लिए मुश्किल होगी। कमलनाथ भी विश्वास प्रस्ताव लेकर आएं। भाजपा वोटिंग में उसे गिरा दे, जिससे सरकार गिर जाएगी।
कांग्रेस की हो सकती है ये रणनीति
1. कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए व्हिप जारी करे। इसका उल्लंघन करने वाले को सदन में आने से रोक दे। इसमें स्पीकर का रोल महत्वपूर्ण होगा।
2. कांग्रेस राज्यसभा चुनाव तक इंतजार कर सकती है। हालांकि इसमें 16 दिन बाकी है, जबकि सरकार का फैसला बजट सत्र की शुरुआत में हो सकता है। बड़े नेताओं की बैठक में चर्चा भी हुई, सिंधिया को राज्यसभा का टिकट और तुलसीराम सिलावट को प्रदेश अध्यक्ष बना दें।
तीन अलग-अलग जगहों पर ठहरे हैं विधायक
बेंगलुरु से 40 किलोमीटर दूर रिसॉर्ट पाम मेडोज के साथ तीन अलग-अलग जगहों पर सिंधिया समर्थक विधायकों को ठहराया गया है। ये स्थान कर्नाटक से भाजपा विधायक अरविंद लिंबोवली के क्षेत्र में आता है। सभी कमांडों की निगरानी में हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे और सांसद रहे बीवाय राघवेंद्र और विजयन इन विधायकों को संभाल रहे हैं। इनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता अरविंद भदौरिया भी हैं। कर्नाटक गए विधायकों में से कुछ तिरुपति बालाजी के दर्शन करने गए। विजयन रियलिटी फर्म आदर्श डेवलपर चलाते हैं।
एक्सपर्ट व्यू : सदन में ही हो सकता है बहुमत का फैसला
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक, किस पार्टी के पास बहुमत है, इसका फैसला विधानसभा के सदन में ही हो सकता है। विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव, मनी बिल या किसी पॉलिसी मैटर पर सरकार सदन में हार जाती है, तो उसे इस्तीफा देना होगा। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करके वोट करने वाले या स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने वाले सदस्य की शिकायत होने पर स्पीकर उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है। ऐसे में अयोग्य घोषित होने के पहले वो जो वोट करेगा, वह मान्य होगा। दो तिहाई सदस्यों के एक साथ पार्टी छोड़ने पर दलबदल अधिनियम लागू नहीं होगा और उनकी विधायकी बनी रहेगी।