दूध कितना शुद्ध है, इसका पता फोटो देखकर लग जाएगा। यह हैरानी वाली बात है, लेकिन एग्रीटेक कंपनी मूफॉर्म, दुनिया की मशहूर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की तकनीकियों का इस्तेमाल कर के एक ऐसी अनोखी तकनीक का आविष्कार करने में जुटी है जिसमें सिर्फ फोटो डालकर पता चल जाएगा कि दूध मसटाइटिस इंफेक्टेड है या नहीं। किसानों को सिर्फ दूध का फोटो मूफॉर्म ऐप पर अपलोड करना होगा और उन्हें दूध के इन्फेक्टेड होने या न होने की जानकारी मिल जाएगी।

सालाना 50 करोड़ रुपए का नुकसान

मूफार्म की सह- संस्थापक आशना सिंह ने बताया कि मवेशियों में मसटाइटिस नामक एक खास बीमारी पाई जाती है। यह बीमारी बैक्टीरिया की वजह से होती है और यह मवेशियों के थन पर होती है। इसलिए दूध भी इंफेक्टेड हो जाता है। मसटाइटिस की वजह से सिर्फ दूध ही इंफेक्टेड नहीं होता है बल्कि दूध का उत्पादन भी कम हो जाता है। सिंह ने बताया कि मूफार्म के रिसर्च के मुताबिक मसटाइटिस की वजह से दूध उद्योग को सालाना 50 करोड़ डॉलर का नुकसान होता है। अगर किसी किसान की एक एक गाय या भैंस को मसटाइटिस है तो उसे प्रतिमाह लगभग 5000 रुपए तक का नुकसान हो सकता है।

सिर्फ एक तस्वीर से पता चलेगा दूध सही है या नहीं

आशना सिंह ने बताया कि मसटाइटिस बीमारी से ग्रसित होने वाली गाय का दूध भी संक्रमित हो जाता है, जो इंसानी खपत के लिए ठीक नहीं है। मवेशियों में यह बीमारी न हो इसके लिए दूध निकालने के बाद मवेशियों के थन को अच्छे से साफ करना चाहिए, नहीं तो उनमें बैक्टीरिया पनप जाता है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की बीमारी को भारत से खत्म करने के लिए मूफार्म को माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से “आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस फॉर अर्थ” का अनुदान/ग्रांट मिला है। सिंह ने बताया कि किसानों को मूफार्म के ऐप पर थन व दूध की तस्वीर डालनी पड़ेगी जिससे यह पता चल जाएगा कि दूध इंफेक्टेड है या नहीं।

ऐप में मिलेंगे लाइव फीचर्स

सिंह ने बताया कि ऐप में जल्द ही लाइव फीचर्स होंगे जिसकी मदद से किसानों को रियल टाइम मदद मिलेगी। लगभग दो माह पहले कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मूफार्म ऐप को लांच किया है। मूफार्म दूध उत्पादन से जुड़े किसानों को कुशल बनाने के लिए पंजाब के संगरूर इलाके में पायलट प्रोजेक्ट कर रही है। जल्द ही मूफार्म का प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश में आरंभ होने जा रहा है। सिंह ने बताया कि किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए मूफार्म विलेज लेवल एंट्रेप्रेन्योर (वीएलई) को नियुक्त कर रहे हैं। मूफार्म पहले वीएलई को प्रशिक्षण देती है, फिर वीएलई किसानों को प्रशिक्षण देते हैं।

Input : Dainik Bhaskar

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