बिहार के नालंदा जिले की मशहूर मिठाई- सिलाव का खाजा (Silao Khaja) अब प्रदेश से निकलकर देश-दुनिया का मुंह मीठा करा रही है. शादी या अन्य मांगलिक कार्यों में इस्तेमाल होने वाली इस मिठाई की लोकप्रियता को देखते हुए यह अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है. जी हां, नालंदा के सिलाव का खाजा अब सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई शहरों और यहां तक कि विदेशों में भी पहुंचने लगा है

सिलाव में खाजा बनाने के कारोबार से जुड़े काली शाह की दुकान (Khaja Shop) के संचालकों की मानें तो पिछले हफ्ते से ही खाजा की ऑनलाइन (Khaja on Online) सप्लाई शुरू की गई है. अगले कुछ दिनों में यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा, जिसके बाद देश-दुनिया में कहीं से भी सिलावा का खाजा मंगवाया जा सकेगा

बिहार के राजगीर और बिहारशरीफ के बीच स्थित सिलाव बाजार में बनने वाले खाजा की बिक्री और लोकप्रियता का इतिहास पुराना है. सिलाव के पास ही नालंदा है, जहां हमेशा देश-विदेश के पर्यटक आते रहते हैं. इसलिए न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी सिलाव के खाजा की पहुंच बनी हुई है. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए ही वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खाजा निर्माण को उद्योग का दर्जा दिया था. साथ ही इस उद्योग को सरकार की क्लस्टर विकास योजना से भी जोड़ा गया था.

कुछ वर्षों के बाद भारत सरकार ने सिलाव के खाजा को जीआई टैग ज्योग्राफिकल इंडेक्शन टैग (Geographical Indication Tag) भी दे दिया, जिससे इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों के लिए कारोबार और आसान हो गया.

सिलाव में हैं 75 से अधिक दुकानें, जीआई टैग मिलने के बाद सिलाव के खाजा की ऑनलाइन बिक्री सबसे पहले संजय लाल की काली शाह नाम के दुकान ने शुरू की है. दुकानदार संजीव कुमार ने बताया कि अभी सिलाव में खाजा की करीब 75 दुकानें हैं. यहां पर खाजा बनाने की परंपरा सैकड़ों साल से है. कुशवाहा और काली शाह का परिवार लंबे अर्से से इस कारोबार से जुड़ा हुआ है. इस वजह से इन दोनों के नाम से सिलाव में आज भी कई दुकानें चलती हैं.

पिछले कुछ दशकों में खाजा के कई कारोबारियों ने इस कारोबार को छोड़ दिया, लेकिन काली शाह के वंशज आज भी विरासत को संभाले हुए हैं. उन्होंने बताया कि काली शाह के परिवार ने ही खाजा की ऑनलाइन बिक्री शुरू की है. अभी यह खाजा विदेशों में जहां लंदन, दुबई और पेरिस भेजा गया है, वहीं देश में कोलकाता, बनारस, लखनऊ, कानपुर, मुंबई समेत अन्य कई शहरों में ऑर्डर की सप्लाई की गई है.

52 परत वाला खाजा है मशहूर, कारीगर मनोज कुमार ने बताया कि खाजा सस्ती लेकिन मशहूर मिठाई है, जिसके बगैर कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं माना जाता है. मनोज ने बताया कि सिलाव में यूं तो कई परतों वाला खाजा बनता है, लेकिन 52 परत वाला खाजा सबसे ज्यादा मशहूर है. यह खाने में खास्ता और कम मीठा होता है, जिसकी वजह से लोग इसे पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि शादी-विवाह या दूसरे मांगलिक कार्यों में तो खाजा बनता ही है, राजगीर या नालंदा विहार आने वाले पर्यटक भी सिलाव से खाजा पैक कर ले जाना नहीं भूलते हैं

Input : News18

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