एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रॉम) से बच्चों की लगातार हो रही मौत के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को स्थिति का जायजा लिया। एसकेएमसीएच में भर्ती एईएस पीडि़त बच्चों का हाल देखा। उनके परिजनों से बात की। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि एसकेएमसीएच को ढाई हजार बेड की क्षमता वाला अस्पताल बनाया जाए। वहीं अभी पांच पीआइसीयू में एईएस पीडि़त बच्चों का इलाज हो रहा। यहां अलग से 100 बेड की पीआइसीयू को अगले वर्ष तक तैयार करने को कहा। इसके अलावा बीमारी के कारणों तक पहुंचने के लिए रिसर्च के साथ सामाजिक सर्वे भी किया जाए। इस क्षेत्र की जलवायु का भी विशेष अध्ययन जरूरी है।

बच्चों के परिजनों को किया आश्वस्त, इलाज में नहीं होगी कोताही

मुख्यमंत्री ने यहां पांचों पीआइसीयू में भर्ती बच्चों के परिजनों से बात की। उन्होंने आश्वस्त किया कि इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं होगी। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों, अस्पताल अधीक्षक, प्राचार्य एवं चिकित्सकों से सभी पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने बेहतर चिकित्सा के दिशा-निर्देश दिए।

यह भी देखें कि दिन में ही तो बीमारी के लक्षण नहीं आए

कई परिजनों ने मुख्यमंत्री को बताया कि भूख नहीं लगने के कारण बच्चा रात में बिना खाए सो गया। सुबह में उसकी तबीयत खराब हो गई। नीतीश कुमार ने कहा कि इस बिंदु से भी हमें देखना होगा। कहीं दिन में ही बच्चों की ऐसी स्थिति तो नहीं हो गई थी, जिसके कारण रात में भूख महसूस नहीं हुई। उन्होंने कहा कि चमकी बुखार से प्रभावित पूरे क्षेत्र का ‘एनवायरमेंटल स्टडी’ कराकर विश्लेषण करना होगा। ताकि, बीमारी से बचाव के लिए प्राकृतिक व तकनीकी तौर पर क्या किया जा सकता है। गर्मी में अक्सर मच्छर गायब हो जाते हैं। मगर, अधिक तापमान, गंदगी, और नमी के कारण अगर प्रभावित इलाकों में मच्छर पाए जाते हैं तो उसका भी उपाय करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित परिवारों के सामाजिक-आर्थिक अध्ययन के साथ-साथ साफ-सफाई के लिहाज से उनके घरों के वातावरण का भी आकलन करना होगा। पेयजल कहीं गुणवत्ता प्रभावित तो नहीं है। उसकी भी मॉनीटरिंग कराई जाए।

एक भी कच्चा घर नहीं रहे 

मुख्यमंत्री ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि एक भी कच्चा घर नहीं रहे। इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और मुख्यमंत्री आवास योजना से पक्का मकान बनाए जाने हैं। उस पर भी ध्यान दें।

एसकेएमसीएच का जीर्णोद्धार जरूरी

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि एसकेएमसीएच में प्रथम चरण में डेढ़ हजार बेड की व्यवस्था करें। इसे ढाई हजार बेड का अस्पताल बनाना है। वर्तमान में यहां छह सौ बेड हैं। उन्होंने यहां एक धर्मशाला का भी निर्माण कराने को कहा। ताकि, मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को आवासन की परेशानी नहीं हो। इससे अस्पताल के अंदर अनावश्यक मूवमेंट पर भी रोक लगेगी। 50 वर्ष पुराने इस मेडिकल कॉलेज के जीर्णोद्धार का भी उन्होंने निर्देश दिया। ये सारे काम दो साल में पूरा करने को कहा।

जागरूकता के साथ अन्य बिंदुओं पर भी लें जानकारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि जागरूकता अभियान के साथ-साथ और क्या करने की आवश्यकता है, इस पर विचार करें। सभी बिंदुओं पर गौर करते हुए आगे की कार्रवाई करें। यह देखें कि पीडि़त और मृत बच्चों में लड़के एवं लड़कियों का क्या अनुपात है। उन्होंने कहा कि लोगों को कन्या उत्थान योजना से भी एक-एक परिवार को अवगत कराना होगा।

24 घंटे चिकित्सक उपलब्ध हो 

मुख्यमंत्री ने कहा कि एसकेएमसीएच में 24 घंटे चिकित्सक उपलब्ध हों। इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित होनी चाहिए। अस्पताल अधीक्षक को प्रतिदिन की स्थिति के बारे में अस्पताल में मीडिया ब्रीफिंग का समय निर्धारित करने को कहा। मुख्यमंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, मुख्य सचिव दीपक कुमार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, प्रमंडलीय आयुक्त नर्मदेश्वर लाल, डीएम आलोक रंजन घोष आदि मौजूद थे।

Input : Dainik Jagran

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