जफ्फरपुर : सुख-शांति, समृद्धि और संतति का महापर्व अनंत चतुर्दशी मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस पर्व में भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इसके अलावा यमुना नदी और शेष नाग की भी पूजा होती है। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पुरोहित पूजा कराते हुए कथा सुनाते है। हालांकि, इसबार कोरोना के चलते अधिकांश स्थानों पर वचरुअल पाठ की तैयारी है। इधर, सोमवार को व्रतियों ने पर्व का संकल्प लिया। पर्व को लेकर व्रतियों में उत्साह दिखा। वहीं बाजारों में खरीदारी को भीड़ रही। फल, दूध, मिठाई, खीरा, पूजन सामग्री, अनंत धागा व आभूषण के अनंत की जबरदस्त मांग रही। लोगों ने जमकर खरीदारी भी की।

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बाजारों में भीड़, लोगों में उत्साह, पूजन सामग्री और फल पर महंगाई की मार, अनंत सूत्र बांधने से मिलती है बाधाओं से मुक्ति

सुबह 09.41 बजे तक पूजन का विशेष मुहूर्त

इसबार अनंत चतुर्दशी पर पूजन का विशेष मुहूर्त 3 घंटे 41 मिनट का ही है। पंडित शंकर झा के अनुसार मंगलवार की सुबह 05. 59 बजे से सुबह 09.41 बजे तक पूजन का विशेष मुहूर्त है। बताया कि इस पर्व में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। कलश की स्थापना कर धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर 14 गाठों वाला अनंत सूत्र बना इसे भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा करना चाहिए।

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  • 6 सौ से 21 सौ रुपये तक बिकी चांदी की अनंत
  • 3 से 20 रुपये तक बिका धागों वाला अनंत, 50 रुपये तक बिका खीरा

आभूषण के अनंत की रही मांग

अनंत चतुर्दशी को लेकर सोमवार को बाजारों में भीड़ रही। धागा वाले अनंत जहां बाजार में तीन से 20 रुपये तक बिके, वहीं चांदी के अनंत 600 से 21 सौ रुपये तक बिके। लोगों ने इसकी जमकर खरीदारी भी की। इस पर्व में खीरा महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में इसबार खीरा 50 रुपये तक बिका। वहीं सेव, केला, बेदाना, दूध और मिठाई की खूब बिक्री हुई। शहर के जीरोमाइल, पुरानी बाजार, छाता बाजार, सरैयागंज, गोला रोड, सोनापट्टी, गुदरी, घिरनी पोखर व कल्याणी के इलाकों में भीड़ रही।

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अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी का पर्व भादो शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व सुख-शांति, समृद्धि, आरोग्य व संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत में पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु, यमुना नदी और शेषनाग की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने से जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए इसे भगवान विष्णु को प्रसन्न और अनंत फल देने वाला माना गया है।

Source : Dainik Jagran

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