सुप्रीम कोर्ट पर कोरोना कहर बनकर टूट पड़ा है। देश कीसर्वोच्च अदालत के दस जज इसकी चपेट में आ गए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि महामारी के संक्रमण ने कामकाज को काफी प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों के संक्रमित होने की दर 30 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। हल्के लक्षण वालों को होम आइसोलेशन में ही रखा गया है। चीफ जस्टिस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं।

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मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के 32 जजों में से अब तक 10 जज कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा, “दो संक्रमित न्यायाधीशों (जस्टिस के एम जोसेफ और पीएस नरसिम्हा) ने निगेटिव होकर फिर से काम करना शुरू कर दिया है।” वर्तमान में आठ जज कोविड से संक्रमित हैं। उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है।

डॉ. श्यामा गुप्ता के नेतृत्व में केंद्र सरकार की एक मेडिकल टीम संक्रमित न्यायाधीशों और कर्मचारियों की चिकित्सा आवश्यकताओं की देखभाल के लिए लगभग चौबीसों घंटे काम कर रही है। हर दिन करीब 100-200 आरटी-पीसीआर जांच कर रही है। संक्रमण दर लगातार 30% के आसपास है। सूत्रों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लगभग 1500 कर्मचारियों में से 400 ने अब तक महामारी की तीसरी लहर में सकारात्मक परीक्षण किया है।

मेडिकल टीम के डॉक्टर भी कोविड पॉजिटिव

सुप्रीम कोर्ट में सीजीएचएस केंद्र में पांच डॉक्टरों में से तीन ने सकारात्मक परीक्षण किया है। उन्हें भी आइसोलेशन में रखा गया है। इससे डॉ. गुप्ता की टीम पर दबाव बढ़ गया है। 9 जनवरी को चार न्यायाधीशों ने सकारात्मक परीक्षण किया था। एक हफ्ते के भीतर संक्रमित जजों की संख्या दोगुनी हो गई है।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत सकारात्मकता दर लगातार दो दिनों तक 5% से ऊपर रहने पर रेड अलर्ट घोषित किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के बीच सकारात्मकता दर पिछले दो दिनों से लगभग 25% बनी हुई है। यह सीजेआई रमना के लिए नई चिंता का विषय है। वे लगातार सभी न्यायाधीशों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं।

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