कानूनी पें/चीदिगियों का सहारा लेकर मौ’त को ध/ता बता रहे फां’सी की स’जा पाए दो’षियों पर शि’कंजा कसने के लिए केन्द्र सरकार आगे आयी है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की है कि कोर्ट आदेश दे कि फां’सी की स’जा पाए दो’षियों की दया याचिका खा/रिज होने के बाद सात दिन के भीतर डे’थ वा’रंट जारी कर दिया जाएगा और उसके बाद सात दिन के भीतर उन्हें फां’सी दे दी जाएगी।

इस पर उनके साथी सह अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका, क्यूरेटिव याचिका या दया याचिका लंबित रहने का कोई असर नहीं पड़ेगा। केन्द्र सरकार ने न्याय का इंतजार करते दुर्दात अपराध के पीडि़तों का हवाला देते हुए कोर्ट से इस बारे में दिशानिर्देश तय करने का आग्रह किया है। सरकार ने शत्रुघन चौहान मामले में दिए गए पूर्व फैसले में फांसी के लिए तय की गई 14 दिन की समय सीमा को घटा कर 7 दिन करने का आग्रह किया है।

केंद्र की अर्जी निर्भया केस में महत्वपूर्ण

केन्द्र सरकार ने बुधवार को कोर्ट में यह अर्जी दाखिल की है। केन्द्र सरकार की यह अर्जी फांसी की सजा पाए दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों के मामले को देखते हुए महत्वपूर्ण है। इस मामले के चार दोषियों को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से फांसी की सजा सुनवाई जा चुकी है। घटना को सात साल बीत चुके हैं लेकिन दोषी एक के बाद एक याचिका दाखिल कर कानूनी पेचीदिगियों का फायदा उठा रहे हैं और मौत को धता बता रहे हैं। इस मामले में चारो दोषियों की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है। इसके बाद दो दोषियों की क्यूरेटिव याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ठुकरा चुका है। एक दोषी मुकेश की दया याचिका भी राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। निचली अदालत ने चारो को फांसी देने के लिए 1 फरवरी की तारीख तय कर रखी है। लेकिन अभी तक दो अभियुक्तों ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं की है जबकि तीन ने दया याचिका नहीं दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर अंतिम मौके पर कोई अभियुक्त दया याचिका या क्यूरेटिव दाखिल कर देता है तो फांसी फिर टल जाएगी।

केन्द्र सरकार ने अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी 2014 को शत्रुघन चौहान मामले में फांसी की सजा पाए दोषियों के पहलू से विचार करते हुए फैसला दिया था और दिशा निर्देश जारी किये थे। जिसमें यह कहा गया था कि दया याचिका खारिज होने के बाद अभियुक्त को 14 दिन का समय दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि कोर्ट ने उस फैसले में यह भी कहा था कि फांसी की सजा पाए दोषी का मामला लटका रहना उस पर मानसिक अत्याचार है। कोर्ट ने वह फैसला दोषी के नजरिये से सुनाया था।

कोर्ट को पीड़ित परिवार के बारे में सोचना चाहिए

सरकार का कहना है कि देश में दुष्कर्म, हत्या आदि के दुर्दान्त अपराध बढ़ रहे हैं। फांसी की सजा पाए दोषी एक एक कर अर्जी दाखिल कर मामला लटकाते रहते हैं। कोर्ट को न्याय का इंतजार कर रहे अपराध के पीडि़त परिवार के बारे में भी सोचना चाहिए। सरकार की मांग है कि कोर्ट आदेश दे कि पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के ही भीतर दोषी को क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने की इजाजत होगी।

कोर्ट यह भी आदेश दे कि अगर दोषी दया याचिका दाखिल करना चाहता है तो वह डेथ वारंट जारी होने के सात दिन के भीतर ही ऐसा कर सकता है। यह भी मांग है कि कोर्ट सभी सक्षम अथारिटी जैसे राज्य, जेल अथारिटी तथा अन्य को आदेश दे कि वे दया याचिका खारिज होने के बाद सात दिन के भीतर डेथ वारंट जारी करेंगे और उसके बात सात दिन के भीतर उन्हें फांसी दे दी जाएगी। उनके केस पर इस बात का कोई असर नहीं होगा कि उनके सह अभियुक्तों की पुनर्विचार, क्यूरेटिव या दया याचिका लंबित है।

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