केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की उपस्थिति में कांग्रेस नेता और प्रवक्ता टॉम वडक्कन भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है। टॉम वडक्‍कन यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बेहद करीबी बताए जाते हैं। ऐसे में अगर कहें कि भाजपा ने सोनिया गांधी के घर में सेंध लगा दी है, तो गलत नहीं होगा। बताया जा रहा है कि कुछ और कांग्रेसी नेता भी हाथ छोड़ कमल थाम सकते हैं। टॉम वडक्कन पूर्व प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता राजीव गांधी के सहायक भी रहे हैं।

टॉम वडक्‍कन जैसे दिग्‍गज नेता ने आखिर कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का फैसला क्‍यों किया? वडक्‍कन ने बताया, ‘पाकिस्‍तानी आंतकवादियों ने जब हमारे देश पर हमला किया, तब कांग्रेस पार्टी ने जैसे व्‍यवहार किया, वो मुझे बिल्‍कुल भी पसंद नहीं आया। तब कांग्रेस के बयान में मुझे बेहद दुखी किया। अगर आतंकी हमले के समय कोई राजनीतिक पार्टी देश के विरुद्ध बयान देती है, तो मेरे पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।’ उन्होंने कहा कि मैंने अपने राजनीति जीवन के कई साल कांग्रेस में बिता, लेकिन वहां वंशवाद की राजनीति हावी है।

बता दें कि वडक्कन केरल में बड़े कांग्रेस नेता रहे हैं और रोमन कैथलिक समुदाय से आते हैं। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना के द्वारा एयर स्ट्राइक किए जाने पर कांग्रेस का सवाल उठाना गलत था। इससे देश की भावनाएं आहत हुई हैं।

कांग्रेस में कई बड़े पदों पर रहे वडक्‍कन

टॉम वडक्कन कांग्रेस के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता रहे चुके हैं। इसके अलावा वडक्‍कन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव, एआइसीसी शिकायत निवारण समिति के प्रमुख और फिल्‍म प्रमाणन ट्रिब्‍यूनल के अपीलीय सदस्‍य भी रह चुके हैं। केरल में उनकी अच्‍छी पकड़ है। ऐसे में वडक्‍कन के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। इधर, भाजपा के लिए दक्षिण में पैर मजबूत करने में ये कदम मददगार साबित होगा।

Input : Dainik Jagran

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