पवित्र सावन मास कल से प्रारंभ हो रहा है। देवघर, हरिद्वार, प्रयागराज, काशी और उज्जैन सहित देशभर में श्रद्धा और उत्साह का वातावरण है। शिवालयों को सजाया जा रहा है तो कांवड़ यात्रा को लेकर शिवभक्तों में अभूतपूर्व उत्साह है। द्वादश ज्योर्तिलिंग के रूप में देवघर में स्थापित बैद्यनाथ मंदिर में श्रावणी मेले की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। विश्व प्रसिद्ध इस मेले में माह भर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है। पिछले साल के 30 लाख के मुकाबले इस वर्ष इस आंकडे़ के 40 लाख को पार कर जाने का अनुमान है। सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को और सावन मास का अंतिम दिन 15 अगस्त को पड़ रहा है।
बोल बम..
बिहार के सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का जल भरकर कांवडि़ये 105 किमी की दूरी तय कर बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं और बाबा को जल अर्पित करते हैं। पदयात्रा में तीन से चार दिन का समय लगता है। पूरे पथ पर प्रशासन के अलावा सेवादारों की ओर से यात्रियों की सुविधाओं का पूरा प्रबंध किया जाता है। इस बार भी बेहतरीन तैयारियां की गई हैं। टेंट सिटी बसाई गई है। स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया है।
ओम नम: शिवाय..
हरिद्वार में भी सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। श्रावण मास के दौरान समूचे उत्तर भारत से शिवभक्त हरिद्वार आते हैं। रोज तीन से चार लाख कांवड यात्री हरिद्वार पहुंचते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के शिवभक्तों की होती है। यहां से वे नीलकंठ महादेव मंदिर का रुख करते हैं। वापसी में हरकी पैड़ी में विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद गंगा जल लेकर अपने घरों के लिए लौटते हैं।
हर हर महादेव..
सावन में काशी की रज सिर-माथे लगाने, विश्र्वनाथ का दरस-परस (दर्शन-स्पर्श) कर जल चढ़ाने और गंगे में डुबकी लगाने के लिए देश-दुनिया से भक्तों के जत्थे उमड़ पड़ते हैं। सावन के आगमन से पूर्व ही इनका रेला काशी की सड़कों-गलियों में उमड़ पड़ा है। इंतजार है सावन की पहली भोर का जब जल की धार भक्त-भगवान की डोर को एक करते हुए पोर-पोर निहाल करेगी। शूलटंकेश्र्वर, रामेश्र्वर, मार्कंडेश्र्वर, केदारेश्र्वर के साथ ही शिवालय श्रृंखला और बाबा की नगरी में ही उनके समेत द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने की अनूठी अनुभूति मन में भरेगी। काशी की परिक्त्रमा (पंचकोसी) करेंगे और सब कुछ शिव लोक भ्रमण का सुख प्राप्त करेंगे। इसके निमित्त 200-250 किलोमीटर अंतरजनपदीय दूरी के साथ ही पूरी शिव नगरी नंगे पांव नाप जाते हैं।
जय महाकाल..
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में श्रावण मास में नई दर्शन व्यवस्था लागू की गई है, जो बुधवार से लागू होगी। जनसंपर्क अधिकारी गौरी जोशी ने बताया कि श्रावण में आम दर्शनार्थी सामान्य दर्शनार्थी द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे। पुजारी, पुरोहित, दिव्यांग, वृद्धजन तथा कावड़ यात्रियों का प्रवेश भस्मारती द्वार से होगा। 250 रुपये के शीघ्र दर्शन टिकट वाले दर्शनार्थी शंख द्वार से अंदर आएंगे। भीड़ की स्थिति को देखते हुए गर्भगृह में प्रवेश की व्यवस्था रहेगी। कावड़ लेकर महाकाल मंदिर आने वाले अधिकांश कावड़ यात्री नर्मदा के विभिन्न घाटों से जल लेकर उज्जैन आते हैं। इसमें खेड़ी घाट का जल लेकर आने वाले यात्रियों की संख्या अधिक रहती है। स्थानीय कावड़ यात्री शिप्रा नदी का जल लाकर महाकाल को अर्पित करते हैं।