प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम के दौरान अरुणाचल प्रदेश की एक प्रेरक विशेषता का जिक्र किया था। यह जिक्र वह इससे पहले 2015 और फिर 2018 में भी कर चुके थे। उन्होंने कहा कि अरुणाचल भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां लोग मिलते हैं तो जय हिंद कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं..। इसे समझने के लिए हमने अरुणाचल का रुख किया। पाया कि मोदी जी ने जो कहा, सच ही कहा..। कमाल का जज्बा। विशुद्ध राष्ट्रवाद। कहीं कोई मिलावट नहीं। एकदम खालिस और शतप्रतिशत शुद्ध..।
हम भारत की उस धरा, उस राज्य के निवासी हैं, जहां उगते सूर्य की पहली किरण दस्तक देती है। इसीलिए तो इसे अरुणाचल कहा गया है। भले ही हमारी विभिन्न समुदायों, जातियों और बोलियों के रूप में भी पहचान है, लेकिन सबसे बड़ी पहचान यही है कि हम भारतवंशी हैं। हम हिंदी हैं, हिंदुस्तानी हैं। आप अरुणाचल में कहीं भी जाएं, हम जब भी किसी से मिलते हैं तो ‘जय हिंद’ कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करना अपनी शान समझते हैं..।
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बड़े ही जोश के साथ करते हैं जय हिंद का अभिवादन
राजधानी ईटानगर से चंद किलोमीटर दूर स्थित चीन की सीमा से सटे कस्बे के रहने वाले फुरपा सेरिंग ने बेहद गर्व से यह बात कही। फुरपा ने इसके पीछे का कारण भी बताया। बोले, चूंकि अरुणाचल चीन से सटा हुआ है, भारतीय फौजी यहां तैनात रहते हैं। वे एक-दूसरे का अभिवादन बड़े ही जोश के साथ जय हिंद कहकर करते हैं। उनका यह जोश हमें भी देशप्रेम से भर देता है। यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने उनसे प्रेरित होकर जय हिंद को आम बोलचाल में अपना लिया। देश के अन्य स्थानों से जो लोग यहां आते हैं, हम उनका भी स्वागत जय हिंद, भारत माता की जय और वंदे मातरम कहकर करते हैं। दरअसल हम जताना चाहते हैं कि हम भी भारतीय हैं..।
ईटानगर हो या छोर पर बसा गांव मॉनबांग, या फिर तवांग, हम जहां भी गए, अरुणाचलवासियों का यह जज्बा और अंदाज देख देशप्रेम से भर उठे। आज अरुणाचल प्रदेश में ‘जय हिंद’ अभिवादन संस्कृति का पर्याय बन चुका है। यह संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत के रूप में स्थानांतरित हो रहा है। कमाल का जज्बा। विशुद्ध राष्ट्रवाद। कहीं कोई मिलावट नहीं। एकदम खालिस और शतप्रतिशत शुद्ध।
फौजी भाइयों से सीखा जय हिंद बोलना
ईटानगर निवासी कीपा बाबा ने कहा, मैंने भी अपने पूर्वजों और फिर फौजी भाइयों से जय हिंद बोलना सीखा। जय हिंद हमारे लिए सम्मानसूचक शब्द है। ऐसा नहीं है कि हम अन्य अभिवादनों को उपयोग नहीं करते, करते हैं, लेकिन हम लोग जब किसी के प्रति अधिक सम्मान जताना चाहते हैं तो निश्चित ही जय हिंद कहकर ही अभिवादन करते हैं। हालांकि अब हमारे यहां प्राय: सभी लोग रोजमर्रा की मुलाकात में भी हैलो-हाय की जगह एक-दूसरे को जय हिंद कहने लगे हैं।
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प्रदेश के क्रा दादी जिले में चीन की सीमा से सटे टाली इलाके के रहने वाले तकशिंग तायेम कहते हैं, मेरे तो माता-पिता भी जय हिंद कहकर ही एक-दूसरे का अभिवादन करते थे। हमारे यहां जो स्कूल है, वहां भी जय हिंद अभिवादन चलन में है। बच्चे स्कूलों में यह शिष्टाचार सीखते हैं। जय हिंद हमारे देश का, हमारी फौज का नारा है। यह सुदूर बसे हम लोगों को भारत के दिल से जोड़ता है..।
‘जय हिंद’ हमारे खून में : मुख्यमंत्री खांडू
अरुणचाल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने दैनिक जागरण से कहा, अरुणाचल 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की युद्धभूमि रहा है। उस समय यहां भारतीय सेना की मौजूदगी से हिंदी और जय हिंद की शुरुआत हुई थी। सेना में कुली के काम के लिए सैकड़ों स्थानीय लोगों की भर्ती की गई थी, जिन्हें बातचीत करने के लिए हिंदी सीखनी पड़ी थी। सेना ने यहां स्वास्थ्य, शिक्षा व आधारभूत संरचना संबंधित संस्थान निर्मित किए थे, जिससे स्थानीय लोगों के लिए हिंदी सीखना-समझना आसान हो गया था। फौजी हिंदी में बातचीत करते थे और जय हिंद कहकर अभिवादन करते थे। इससे स्वाभाविक तौर पर स्थानीय लोगों में भी जय हिंद कहने की प्रवृत्ति पैदा हुई, जो अब यहां का शिष्टाचार बन चुकी है। विशेषकर अरुणाचल प्रदेश के गांवों में, वहां इसे लेकर जोश कहीं अधिक दिखता है। आज अरुणाचल का हर नागरिक हिंदी बोल पाने की अपनी योग्यता को लेकर गर्व की अनुभूति करता है। जय हिंद हर अरुणाचल वासी के खून में है।
अपना अरुणाचल..
अरुणाचल प्रदेश की आबादी 14 लाख से थोड़ी कम है। यह 26 आदिवासी जातियों व 256 उप जातियों का घर है, जो लगभग 90 स्थानीय भाषाएं बोलते हैं। इस विविधता के बीच भी हिंदी राज्य की सामान्य भाषा के रूप में उभरी है। यह संपर्क भाषा भी है, जो राज्य की प्रशासनिक इकाइयों को बांधती है। राज्य के 90 फीसद से अधिक लोग हिंदी में बातचीत करते हैं।
Input : Dainik Jagran