पटना देश में निर्भया के कातिलों को जल्‍दी फांसी देने की मांग जोर पकड़ चुकी है। बिहार की बात करें तो यहां भी फांसी के कई बड़े मामले लंबित पड़े हैं। इसे देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने फांसी की सजा के मामलों के जल्द निबटारे के लिए एक योजना बनाई है।

योजना के तहत 10 मुकदमे की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने अपनी अदालत में बुधवार को ही सूचीबद्ध कराया था, लेकिन वकीलों के न्यायिक कार्य नहीं करने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। हालांकि, दो दिन पहले फांसी की सजा से जुड़े एक मामले को जूडिशियल एकेडमी में भेज दिया था।

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को ऐसा प्रतीत हुआ कि सुनवाई करने में अपर न्यायाधीश ने जल्दबाजी कर दी। इसलिए उस मुकदमे को पुन: उसी जज के यहां सुनवाई के लिए भेज दिया। अब उन्हें फिर से देखना है कि इस मामले की गंभीरता से सुनवाई हुई कि नहीं।

मुख्य न्यायाधीश ने अपने कोर्ट 10 मामलों को सूचीबद्ध कराया, उसमे से केवल एक का निपटारा किया गया। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सूचीबद्ध अधिकांश मामले जहानाबाद जिले से संबंधित थे। घटना 1999, 1994 का था। इन मामलों में 2016 मे निचली अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई है। लेकिन उनके मामले पर हाई कोर्ट से यह तय नहीं हुआ है कि जिसे फांसी की सजा सुनाई गई है वह सही अर्थ में ठीक फैसला दिया गया है।

इनके मामले पर सुनवाई होनी है

1. अरविंद कुमार, थाना करपी, जिला जहानाबाद

2. द्वारिका पासवान,

3. रामाशीष भूइया, करपी पी एस केस न.22/99

इन्हें जहानाबाद से 2016 मे सजा सुनाई गई थी |

सारे अभियुक्त हत्या ऐवं नरसंहार के मामले में दोषी पाए गए हैं | इन सजायाफ्ताओं पर हाई कोर्ट को निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगाना है |

Input : Dainik Jagran

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