साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए फर्जी नाम-पता पर सिम बेचने वालों पर नकेल की कवायद तेज हो गई है। इसके मद्देनजर एक अक्टूबर से केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय सिम बेचने, चालू या एक्टिवेट करने और इनके सत्यापन से संबंधित मापदंड को बेहद सख्त कर दिया है। अब नियम का उल्लंघन कर सिम बेचने वाले विक्रेता या प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।
यह जुर्माना केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय के टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथिरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) में जमा करना होगा। साथ ही ऐसे विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द करते हुए उन्हें तीन वर्ष के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा। नए प्रावधान से संबंधित अधिसूचना जारी होने के बाद राज्य में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) भी इसकी समुचित निगरानी करेगा। ईओयू के डीआईजी एमएस ढिल्लो ने बताया कि बिना समुचित जांच सिम चालू करने वाले टेलीकॉम ऑपरेटरों व विक्रेताओं पर कार्रवाई होगी। उन पर दायित्व का निर्धारण किया गया है। इसमें पीओएस की जवाबदेही भी बेहद बढ़ गई है। उधर, अब सभी मोबाइल ऑपरेटर या कंपनियों को उनके सिम बेचने वाले पीओएस का विवरण टेलीकॉम मंत्रालय में जमा करना होगा। पीओएस की शिकायत मिलने पर तीन दिनों के अंदर संबंधित टेलीकॉम कंपनी को उस पर कार्रवाई करते हुए तुरंत इसकी सूचना मंत्रालय को देनी होगी।