MUZAFFARPUR : आगामी 22 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावणी मेले की तैयारी के लिए जिला प्रशासन ने 15 कमेटियाँ गठित की हैं। इसके तहत एक जिला कार्यकारिणी समिति और 14 सहायक समितियाँ बनाई गई हैं। कांवरियों का शहर में प्रवेश 20 जुलाई से शुरू हो जाएगा। श्रद्धालुओं की सुविधा और उनकी संख्या को ध्यान में रखते हुए इस बार रामदयालु में निबंधन काउंटर खोले जाएंगे, जहां श्रद्धालुओं के ठहरने आदि के प्रबंध का कूपन दिया जाएगा।
जिला पदाधिकारी (डीएम) सुब्रत कुमार सेन और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राकेश कुमार ने श्रावणी मेले के लिए कमेटियों की घोषणा करते हुए आदेश जारी किए हैं। सबसे प्रमुख कमेटी कार्यकारिणी समिति होगी, जिसमें 12 सदस्य शामिल किए गए हैं। इसमें अपर समाहर्ता, एसडीओ पूर्वी, भवन प्रमंडल, पीएचईडी और बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता, जिला नजारत उपसमाहर्ता, एसडीसी सोनी कुमारी और सौरव राज, डीईओ, डीपीओ स्थापना, डीपीओ मध्याह्न भोजन और बाबा गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति के सचिव को शामिल किया गया है।
कांवरिया पथ के पर्यवेक्षण और मरम्मत के लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जिसमें नगर आयुक्त, पथ निर्माण विभाग एक और दो के कार्यपालक अभियंता, बुडको के कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता, एनएच के कार्यपालक अभियंता और एनएचएआई के कार्यपालक अभियंता शामिल हैं।
अन्य कमेटियों में:
- यातायात व्यवस्था: जिला परिवहन अधिकारी को मेले के दौरान यातायात व्यवस्था देखने और रूट चार्ट तैयार करने की जवाबदेही दी गई है।
- ठहराव व्यवस्था: कांवरियों के ठहराव के लिए अलग समिति।
- सफाई व्यवस्था: सफाई व्यवस्था के लिए अलग समिति।
- विद्युत व्यवस्था: विद्युत व्यवस्था के लिए समिति।
- अतिक्रमण और स्वास्थ्य: अतिक्रमण और स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए समिति।
- अग्निशमन व्यवस्था: अग्निशमन व्यवस्था के लिए समिति।
- विधि व्यवस्था और नियंत्रण कक्ष: विधि व्यवस्था और नियंत्रण कक्ष के लिए समिति।
- बैरिकेडिंग और ड्रॉपगेट: बैरिकेडिंग और ड्रॉपगेट के लिए समिति।
बाबा गरीबनाथ मंदिर के साथ ही दूधनाथ मंदिर छपरा मेघ के लिए अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन के नेतृत्व में एक अलग कमेटी बनाई गई है। इसके अलावा नगर आयुक्त और अपर समाहर्ता के नेतृत्व में उद्घाटन समिति भी बनाई गई है।
इन कमेटियों के गठन से श्रावणी मेले की तैयारियाँ सुचारू रूप से की जा रही हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और मेला शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न हो सके।